🍁 खुशी और आनन्द 🍁
कष्टों और दुखों में भी मुस्कुराने वाला, जीवन की परेशानियों को पी जाने वाला, अपने कर्म पर विश्वास करने वाला, ईश्वर की परम सत्ता को मानने वाला, कण - कण में व्याप्त परम तत्व को महसूस करने वाला, सभी जीवों को एक समान प्रेम करने वाला व्यक्ति ही खुशी और आनन्द को प्राप्त करता है| हम आसपास के सभी व्यक्तियों को खुश व सन्तुष्ट नहीं रख सकते, सभी की अपेक्षाओं पर खरे नहीं उतर सकते, अच्छा यह ही है कि अपने सकारात्मक और सार्थक कामों से हम सदैव खुश रहें, यही खुशी हमारी आत्मा को सहकारिता एवं सामन्जस्य हेतु प्रेरित करती है | आत्मप्रेरित व्यक्ति आत्मविश्वास से भरा हुआ एवं आत्मनिर्भर होता है| मनुष्य की शारीरिक, मानसिक, सामाजिक एवं आत्मिक संतुष्टि और खुशी ही उसे आनन्द के शिखर पर ले जाती है| आनन्द ही प्रभु भक्ति का सार है| भव बंधन से मुक्ति की ओर कदम ताल करता मनुष्य बुराइयों एवं दुखों को तजकर परम तत्व में विलीन होने को आतुर परमानन्द में खो जाता है| हर्ष और विषाद से ऊपर उठ जाता है, परम आनन्द को प्राप्त करता है|
© डॉ० राहुल शुक्ल 'साहिल'
वाहहहहहहह बहुत ही बेहतरीन लाजवाब लेख
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