सुमति छंद
111 212 111 122
सकल साधना सियवर धारौ|
विकल वेदना दुख तम टारौ||
मधुर कामना मन सुख पाऊँ|
भजन राम का निशदिन गाऊँ||
© डॉ० राहुल शुक्ल 'साहिल
सरल भाव से भव भय भागे|
गहन ज्ञान का अनुभव जागे||
नमन वंदना हरपल ध्याऊँ|
हृदय हार जीवन सुख पाऊँ||
© डॉ० राहुल शुक्ल 'साहिल'
मधुर भावना सब मन होवे।
तड़प जाइये जब नर रोवे।।
जनम व्यर्थ ये नहिं सब खोवें।
फल मिले वही जब तब बोवें।।
मुकेश शर्मा ओम
सुमति छंद~111 212 111 122
कलम हाथ में अब गह लीन्हा|
सरस काव्य को मन महुँ चीन्हा||
गुनत सोम पावन मन होता|
रटत नाम सुन्दर शुचि स्रोता||
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दिलीप कुमार पाठक सरस
सुमति छन्द
सरस गीत से मम मन झूमे|
गुरुव प्रीत में बरबस घूमे||
सरल सोम है गुरुवर प्यारे|
सुगढ़ वंदना तन-मन धारे||
©साहिल
सुमति छंद
111 212 111 122
प्रखर ओज से सब सुख पाएँ|
विनय धीरता अब मन भाएँ||
प्रनत पाल हैं प्रभु सुख दाता|
नमन राम जू चित धर ध्याता||
© डॉ० राहुल शुक्ल 'साहिल'
सरस वंदना मधुवन लागे|
प्रनय प्रीत से प्रियतम जागे||
सुखद कर्म से सहचर पाऊँ|
नवल प्रेयसी चित धर लाऊँ||
©🌸🙏साहिल
सुमति छन्द
वचन सोम के अति प्रिय लागे|
सरल भाव ही हिय मम जागे||
परम मान हैं गुरुवर प्यारे|
कुशल सर्जना प्रभुवर न्यारे||
© साहिल
सरस सोम जू गुरुवर मेरे|
सकल वंदना विनय सवेरे||
वचन बोल भी मधुकर लागे|
सुनत सोम जू शुभकर लागे||
©🙏 साहिल
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