राधारमण छंद
विधान~
[नगण नगण मगण सगण]
(111 111 222 112)
12 वर्ण,4 चरण
दो-दो चरण समतुकांत]
रघुवर सम प्यारा नाम नहीं।
बिन सुमिरन के आराम नहीं।।
अब चित धरिकै नित्यै भजिये।
कलिमल जगती माया तजिये।।
~शैलेन्द्र खरे"सोम"
🌷 राधारमण छंद 🌷
[नगण नगण मगण सगण]
(111 111 222 112)
12 वर्ण, 4 चरण, दो-दो चरण समतुकांत]
तन-मन सुख का आधार तु है|
नव किसलय सा आकार तु है||
मुदमय सजनी तू है जननी|
सुखमय करनी तेरी कथनी||
© डॉ० राहुल शुक्ल 'साहिल'
🌷 राधारमण छंद 🌷
[नगण नगण मगण सगण]
(111 111 222 112)
12 वर्ण, 4 चरण, दो-दो चरण समतुकांत]
सरल सकल तारा जीवन है|
सुखमय सुर धारा जीवन है||
सुभग रजत सारा जीवन है|
सरस सचल लारा जीवन है||
अनुपम सुख मैं पाऊँ सजनी|
मिलकर तुमसे जागूँ रजनी||
हर- पल मिलती नेहा तुम हो|
तन मन जग की मेहा तुम हो||
© डॉ० राहुल शुक्ल 'साहिल'
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