🏵 रञ्जन छंद 🏵
विधान~
[भगण नगण जगण नगण सगण
नगण नगण भगण गुरु गुरु]
(2111111 2111111 2111111 21122)
26वर्ण,4 चरण,(यति 7-7-7-5)
दो-दो चरण समतुकांत]
हो प्रियतम तुम, हो मन मधुवन,
जीवन महकत, हो सुखकारी||
सूरत चमकत, सीरत मुद मन,
फूल खिलत शुभ, ज्यों फुलवारी||
हो हलचल हिय, हो क्षण-क्षण प्रिय,
डोलत तन-मन, चंचल धारा|
सोहत बरबस, मोहक सब रस,
साहिल प्रतिपल, चाहत तारा||
© डॉ० राहुल शुक्ल 'साहिल'
🏵 रञ्जन छंद 🏵
विधान~
[भगण नगण जगण नगण सगण
नगण नगण भगण गुरु गुरु]
(2111111 2111111 2111111 21122)
26वर्ण,4 चरण,(यति 7-7-7-5)
दो-दो चरण समतुकांत]
हे मन मधुकर,हे प्रिय नटवर,
केशव गिरिधर, हे बनवारी।
मोर मुकुटधर,मोहन मदहर,
शोभित सुखकर, हे मनहारी।।
वेणु अधरधर,बाजत मधु स्वर,
गोपिन चितहर, कुंजबिहारी।
नित्य नमन कर,"सोम" हृदय धर,
संग रुचित अति,कीर्ति दुलारी।।
~शैलेन्द्र खरे"सोम"
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