मजा मधुर ही लीजिए, जीत बने मनमीत|
आज समय है बोलिए, अपने हिय की प्रीत;
प्रेम का गीत सुनाओ, मधुरिम बंशी बजाओ||
@ साहिल
मधुर
विधा~दोहा
मधुर मधुर मुस्कान है, मधुर मधुर से बोल|
देख उसे बस डोलता, तन मन का भूगोल||
एक शराबी बन गया, देख नशीले नैन|
देख न लूँ मैं जब तलक,आता है नहिं चैन||
एक अनोखी झील से, नयना गोलमटोल |
लख मृगनयनी मोहिनी, तन मन जाता डोल||
हँसकर के संकेत से,अपने पास बुलाय|
कहती है मुझको मधुर, मंद मंद मुस्काय||
दिलीप कुमार पाठक सरस
तारे चमके रात में, प्रीत बढ़े चहुँ ओर|
मधुर भावना नेह से, सरस बने चितचोर||
डॉ० राहुल शुक्ल 'साहिल'
भावना
(चौपाई )
आप भावना रखना ऐसी।
प्रभु दीवानी मीरा जैसी।।
रोम रोम बस नाम पुकारे।
आयेंगे वो द्वार हमारे।।
हँसकर पीया विष का प्याला।
मन में फेर रही थी माला।।
जोगन लगती प्रेम में रानी।
दुनिया जाने यही कहानी।।
रेनू सिंह
मुक्तक
शुद्ध रहे यदि भावना बढ़े प्रेम व्यवहार।
स्नेहिल उर चाहता नहीं कभी मनुहार।
मधुर मधुर बातें करो तज स्वारथ की बात,
सत्य वचन यह मान लो हो सुंदर संसार।।
कौशल कुमार पाण्डेय "आस"
बीसलपुर(पीलीभीत)
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