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स्वास्थ्य जानकारी (मिशन हेल्दी इंडिया)

[4/7, 12:12] Dr. Rahul Shukla: *क्या आप स्वस्थ हैं ???*

१) क्या आप अपनी वास्तविक उम्र से कम दिखते हैं ?

२)  क्या आपका शारीरिक व्यक्तित्व सामान्य है ?

३) क्या आपके चेहरे की रंगत लालिमायुक्त है ?

४) क्या आपकी मुख मुद्रा प्रसन्नचित है ?

५) क्या आपकी आंखों में जीवन की चमक है ?

६) क्या आप क्या आप सदैव स्वच्छ रहते हैं ?

७)  क्या आपका पेट ठीक रहता है ?

८) क्या आप को समय से अच्छी नींद आती है ?

_यदि सभी प्रश्नों का उत्तर सकारात्मक है तो आप निश्चित ही स्वस्थ हैं, किंतु एक भी प्रश्न के उत्तर में यदि आपका उत्तर नकारात्मक है तो आप पूर्ण स्वस्थ नहीं है |_
[4/7, 12:25] Dr. Rahul Shukla: *"अस्वस्थता के लक्षण"*

१) जिस व्यक्ति का चेहरा व आंखें कांतिहीन हों, आंखों के नीचे गहरे गड्ढे पड़े हो, उसे अस्वस्थ व्यक्ति कहा जा सकता है |

२) अस्वस्थ व्यक्ति सदैव चिड़चिड़ा रहता है, उसकी बातें निराशापूर्ण रहती हैं|

३) अस्वस्थ व्यक्ति सदैव स्वयं को थका - थका महसूस करता है |

४) समय पर भोजन न करना, असमय सोना व असमय जागना भी अस्वस्थता के लक्षण हैं|
[4/7, 12:28] Dr. Rahul Shukla: 🏌🏻‍♀🤺⛹‍♂🏋‍♂🤼‍♂🤼‍♀🤸‍♂⛷🧘🏻‍♂🧘🏻‍♀🚴🏻‍♀

*शिक्षा में योग एवं शारीरिक शिक्षा का महत्व*

   ‘‘शरीर माद्यं खलु धर्म साधनम्’’ अर्थात शरीर के माध्यम से ही व्यक्ति अपने सभी कर्तव्यों (धर्मों) का पालन करता है। चूंकि धर्म का पालन एवं साधन शरीर से ही सम्भव है अतः उसका स्वस्थ एवं निरोगी रहना अत्यन्त आवश्यक है। वैसे भी मानव जीवन का प्रथम सुख निरोगी काया ही है, इसलिये स्वास्थ्य की रक्षा के विषय में जानकारी तथा उसके बारे में जागरूक रहना बहुत जरूरी है| सेहतमंद जीवन सबसे बड़ी खुशी है| स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन पाया जाता है, शारीरिक शिक्षा व जागरूकता सभी के लिए बहुत जरुरी है|

              स्वास्थ्य सबसे बड़ा धन है। शारीरिक दृष्टि से निरोगी रहना आज के यांत्रिकी युग की सबसे बड़ी आवश्यकता है। लेकिन आरोग्य का अर्थ केवल शारीरिक दृष्टि से निरोगी रहना ही नहीं है बल्कि यह व्यक्ति के शारीरिक, मानसिक तथा सामाजिक दृष्टि से स्वस्थ बने रहने की एक स्थिति है जिसके साथ साथ हमारी आत्मा का शुद्ध रहना भी अति आवश्यक है |

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, _"शारीरिक, मानसिक, सामाजिक एवं आत्मिक साम्यावस्था कि स्थिति ही स्वास्थ्य है |"_

             शरीर के लिए जरुरी पोषक तत्वों की कमी, प्रदूषित जलवायु, खाद्ययुक्त अनाज, असंतुलित आहार एवं वातावरण में मौजूद विषैले तत्व और सूक्ष्म जीव विभिन्न प्रकार के रोगों का प्रमुख कारण है | जैसे - जैसे  वैज्ञानिक प्रगति की ओर हम बढ़ रहे हैं वैसे ही नये - नये प्रकार के रोगों से ग्रस्त होकर औसत आयु को घटा रहे हैं|
         
             अपनी रोग प्रतिरोधक शक्ति एवं पोषकीय खाद्य पदार्थों को बढ़ाकर किसी भी रोग से लड़ने की क्षमता का विकास कर सकते हैं एवं संक्रमण को रोक सकते हैं | कोई भी रोग होने पर जितना हो सके परहेज करें व बिमारी की शुरुआती स्थिति में घरेलू नुस्खे, एक्यूप्रेशर, आयुर्वेद, होम्योपैथिक, प्राकृतिक चिकित्सा, योग, रेकी आदि हानिरहित, सुगम, सरल, सस्ती प्राकृतिक चिकित्सा पद्धतियों का सहारा लेना चाहिए तथा केवल आपातकाल में ही एलोपैथी का सहारा लें क्योंकि एलोपैथी दवाइयों के दुष्प्रभाव बहुत अधिक है |

              शैक्षिक संस्थाओं एवं जन सामान्य के लिए स्वास्थ्य जागरूकता एवं शिक्षा का महत्व जीवन में अति आवश्यक है| बच्चों को बचपन से ही शरीर को स्वच्छ रखने एवं सेहत के बारे में जानकारी देना चाहिए जिसमें  सर्वप्रथम अभिभावक और परिवार का महत्व है| प्राथमिक स्तर पर शैक्षिक संस्थाओं एवं विद्यालयों में भी स्वास्थ्य शिक्षा दी जानी चाहिए एवं शारीरिक क्रियाओं जैसे आसन, प्राणायाम एवं योग की शिक्षा में विद्यार्थियों को योग्य बनाना चाहिए जिससे वे अपने जीवन को निरोगी रख सकें|

             विद्यालयी पाठ्यक्रम में योग एवं शारीरिक शिक्षा को समाहित करके रोजगार के नये अवसर भी बनाएं जा सकते हैं| प्राथमिक, उच्चतर माध्यमिक, माध्यमिक एवं उच्च शिक्षाओं में योग, प्राणायाम एवं स्वास्थ्य शिक्षा को पाठ्यक्रम में जोड़ना उतना ही आवश्यक है जितना अन्य विषयों और भाषा का ज्ञान जरुरी है|

© डॉ० राहुल शुक्ल 'साहिल'
[4/7, 12:43] Dr. Rahul Shukla: *स्वास्थ्य के लक्षणों को निम्नलिखित दो भागों में बांटा जा सकता है|*

१)  प्रत्यक्ष

♻ व्यक्ति का शारीरिक भार शरीर की लंबाई के अनुपात में होना चाहिए|

♻ शरीर के भार का सामान्य रूप से कम या अधिक होना अस्वस्थता का लक्षण है|

♻ शारीरिक ढांचा अस्थिपंजर संतुलित एवं सधा हुआ होना चाहिए|

♻ शारीरिक अस्थिपंजर उचित रूप से विकसित होना चाहिए|

♻ अस्थियों के जोड़ ठीक तथा स्वभाविक अवस्था में होने चाहिए आंखों में स्वाभाविक चमक होनी चाहिए |

♻आंखों के नीचे गहरे गड्ढे या काले निशान का होना अस्वस्थता का लक्षण है|

♻ बाल सघन, चमकीले, चिकने एवं होनी चाहिए दांतों को सुंदर एवं मजबूत स्वस्थ होना चाहिए
[4/7, 12:45] Dr. Rahul Shukla: *स्वास्थ्य के लक्षणों को निम्नलिखित दो भागों में बांटा जा सकता है|*

१)  प्रत्यक्ष

♻ व्यक्ति का शारीरिक भार शरीर की लंबाई के अनुपात में होना चाहिए|

♻ शरीर के भार का सामान्य रूप से कम या अधिक होना अस्वस्थता का लक्षण है|

♻ शारीरिक ढांचा अस्थिपंजर संतुलित एवं सधा हुआ होना चाहिए|

♻ शारीरिक अस्थिपंजर उचित रूप से विकसित होना चाहिए|

♻ अस्थियों के जोड़ ठीक तथा स्वभाविक अवस्था में होने चाहिए आंखों में स्वाभाविक चमक होनी चाहिए |

♻आंखों के नीचे गहरे गड्ढे या काले निशान का होना अस्वस्थता का लक्षण है|

♻ बाल सघन, चमकीले, चिकने एवं मुलायम होने चाहिए|

♻ दांतों एवं मसूढ़ो को सुंदर, स्वस्थ एवं मजबूत  होना चाहिए|
[4/7, 12:55] Dr. Rahul Shukla: *२) अप्रत्यक्ष*

♻ शरीर के विभिन्न तंत्र सना योग संस्थान पाचन संस्थान, श्वसन तंत्र परिसंचरण तंत्र, अस्थि तंत्र, विसर्जन तंत्र एवं तंत्रिका तंत्र आदि का ठीक प्रकार से कार्य करना|

♻ व्यक्ति में मानसिक रूप से संवेगात्मक स्थिरता का होना अनिवार्य है, संवेगात्मक रूप से स्थिर व्यक्ति संवेगात्मक दृष्टि से स्वस्थ माना जाता है|

        संवेगात्मक अस्थिरता निसंदेह अस्वस्थता का प्रतीक है|

♻ स्वस्थ व्यक्ति का अपने व्यवसाय में संतुष्ट होना|
लोगों से सामंजस्य स्थापित करना, समन्वय बनाए रखना|
अपनी दैनिक दिनचर्या में नियमितता एवं दैनिक कार्यों में परिपक्वता आदि स्वस्थता के लक्षण हैं|
[4/7, 13:05] Dr. Rahul Shukla: उत्तर ~१:  स्वास्थ्य शब्द अंग्रेजी शब्द हेल्थ (Health) से बना है जिसको स्वास्थ्य की दशा कंडीशन ऑफ बीइंग (Condition of being health) के लिए प्रयुक्त किया जाता है जिसका अर्थ सुरक्षा, निरोगता, समग्रता आदि द्वारा समझा जा सकता है, सामान्यतः स्वास्थ्य का अर्थ उस दशा से है, जिसके द्वारा शरीर तथा मस्तिष्क के समस्त कार्य सुचारु रुप से सक्रियता पूर्वक संपन्न किए जा सकें शारीरिक संबलता ही पर्याप्त नहीं है, अगर मानसिक रूप से व्यक्ति परेशान हो या मानसिक रूप से ठीक हो लेकिन शारीरिक परेशानी से ग्रस्त हो तो वह स्वास्थ्य की दशा में नहीं होगा, इसीलिए शारीरिक और मानसिक दोनों ही दशा सुचारू रूप से चलते रहने को ही स्वास्थ्य कहते हैं|
[4/7, 17:15] Dr. Rahul Shukla: *प्रश्न ~४: डॉक्टर साहब मुझे अपनी बीमारी के लिए कौन सी दवा या किस पद्धति की दवा इस्तेमाल करनी चाहिए ?*
उत्तर~ तुरंत होने वाली बीमारियों में हमें देसी या प्राकृतिक दवाइयां का शुरूआत में इस्तेमाल करना चाहिए|

तेज बुखार, सिरदर्द या भयंकर दर्द की स्थिति में अंग्रेजी दवा या एलोपैथिक दवा का इस्तेमाल डॉक्टर की सलाह से, कम समय के लिए करना चाहिए क्योंकि इन दवाइयों के साइड इफेक्ट्स या दुष्प्रभाव होते हैं|

उदर संबंधी बीमारियों, लीवर से संबंधित बीमारियों, पुरानी चोट बिगड़ा मलेरिया, टाइफाइड, पथरी, शरीर में गांठ, सिष्ट, स्त्रियों से संबंधित बीमारियां, बच्चों की बीमारियां, हड्डी से संबंधित रोग गठिया, ब्लड शुगर एवं बाल झड़ना - पकना आदि रोगों में आयुर्वेदिक या होम्योपैथिक दवाइयों का इस्तेमाल करना चाहिए, जिससे हमें दुष्प्रभाव रहित लाभ मिल सके|
[4/7, 17:55] Dr. Rahul Shukla: प्रश्न ~५: आप अपनी चिकित्सा पद्धति और कार्य पर प्रकाश डालिएगा, और हाँ आप मिशन हेल्दी इंडिया परियोजना के बारे में जरुर बताएँ|

उत्तर~ अत्यन्त गर्व का विषय है कि संजीवनी वेलफेयर सोसायटी के साथ चिकित्सकीय सेवा देते हुए आप सभी के सहयोग से सोसाइटी ने प्रदेश के लगभग 10 जिलों में  सफलतापूर्वक जरूरतमंद लोगों को स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान की है और मुझे भी सुदूर क्षेत्रों में होम्योपैथिक विधा से लोगों को रोगमुक्त करने का मौका मिला|

                सभी को यह बताते हुए अत्यन्त हर्ष है कि संजीवनी वेलफेयर सोसाइटी की स्व परियोजना, _"मिशन हेल्दी इंडिया "_ को इलेक्ट्रानिक मीडिया के माध्यम से जन - जन तक पहुँचाने के लक्ष्य पर कार्य करने जा रही है | जिससे होम्योपैथिक का लाभ अंतिम व्यक्ति तक पहुँच सके एवं प्रत्येक व्यक्ति में स्वास्थ्य चेतना जगायी जा सके|

*मिशन हेल्दी इण्डिया की आनलाइन सर्विस हम सभी को उच्च सोपान पर ले जाएगी और चमत्कारिक विधा "होम्योपैथी" से हर जरुरतमंद व्यक्ति जुड़कर सलाह एवं सेवाएँ ले सकेगा |*

    स्वस्थ मन  और स्वस्थ तन|
   स्वस्थ परिवार स्वस्थ जीवन|       

             *होम्योपैथिक के क्षेत्र में शीघ्र यश, प्रतिष्ठा, चिकित्सक सलाह, दवा एवं आर्थिक स्वतंत्रता प्राप्त करने हेतु  इच्छुक व्यक्तिओं का संजीवनी वेलफेयर सोसाइटी में स्वागत है|*           
            
                                 धन्यवाद
                        डॉ० राहुल शुक्ल
                        HOD Doctor panel,
                    संजीवनी वेलफेयर सोसायटी
                           इलाहाबाद
                       सम्पर्क नं०~9452673592
[4/7, 17:59] Dr. Rahul Shukla:          ☆ परिचय ☆

नाम ~ डाॅ• राहुल शुक्ल

जन्म तिथि ~ 13/09/1981
माता ~ श्रीमती कान्ती शुक्ला
पिता ~ श्री बुद्धि नारायण शुक्ल
विवाह~ श्रीमती कान्तिप्रभा शुक्ला (२००९)
_अभिरुचि_ ~ साहित्य लेखन/अध्यात्म/ चिकित्सा सेवा/ अध्ययन

_शैक्षणिक योग्यता_ ~ बी•एच•एम•एस 2008 जीवाजी विश्वविद्यालय ग्वालियर म•प्र•

स्थायी पता~           
302/4 शिवकुटी, तेलियलगंज, इलाहाबाद, उ•प्र• 211004
ई• मेल - rsrahulshukla9@gmail.com
मोबाइल ~ 9452673592, 7843954201

सन्देश ~ सेवाभाव, विश्वास, परिश्रम एवं सच्ची निष्ठा से सफलता सहज मिलती है |

         ¢ जीवन उद्देश्य एवं कार्य ¢

आधुनिक एवं वैकल्पिक चिकित्सा व्यवस्था इत्यादि के द्वारा जनमानस को चिकित्सकीय सलाह व औषधि देकर रोगमुक्त करने एवं स्वस्थ रहने के उपायों के बारे में बताना भी उत्कृष्ट श्रेणी का सामाजिक कार्य है |

    सरल एवं सार्थक जीवन व्यतीत करने के उद्देश्य से वैकल्पिक चिकित्सा विधा में सर्वोत्तम *होम्योपैथिक चिकित्सक* की उपाधि प्राप्त (२००८) करने के बाद, मैनें _(डॉ० राहुल शुक्ल)_ आर्थिक एवं सामाजिक रूप से कमजोर वर्ग (जिनकी संख्या गावों में अधिक,  शहरों में कुछ कम है) को स्वस्थ रहने की सीख देकर अपने अनुभव एवं सेवाभाव को बढ़ाने के उद्देश्य से अपना व्यक्तिगत क्लीनिक चलाते हुए, शहर के आसपास के ब्लॉकों में स्वास्थ्य शिविरों के माध्यम से गरीबों एवं अशिक्षित लोगों की सेवा का क्षेत्र चुना एवं माह में १० से १५ होम्योपैथिक निशुल्क शिविरों में, प्रति माह २०० से ५०० मरीजों को रोगमुक्त करने का गौरव प्राप्त किया |

         जैसी इंसान की सोच व कार्य वैसे लोग अनुदान स्वरुप ही मिलते जाते हैं |  ऐसे ही क्रम में कई स्वंय सेवी संस्थानों से सम्बद्ध   होने का मौका मिला, जिसमें २०१०  में  "ऊँ साई नाथ ह्यूमन हेल्थ एण्ड वेलफेयर सोसायटी के माध्यम से बच्चों को हिपेटाइटीस ~ बी का टीका लगाने का मौका मिला|
          इसी क्रम में जुलाई २०१४ में इलाहाबाद उ० प्र० में कार्यरत होम्योपैथिक स्वास्थ्य जागरूकता एवं जटिल रोग निदान करने का लक्ष्य ("मिशन हेल्थी इण्डिया" परियोजना के तहत) लेकर कार्य कर रही स्ववित्त पोषित 'स्वंय सेवी संस्था' "संजीवनी वेलफेयर सोसाइटी" इलाहाबाद से सम्बद्ध होने का सौभाग्य मिला|  परामर्शीय चिकित्सक के रूप में इलाहाबाद, कौशाम्बी, प्रतापगढ़,  अमेठी, आदि के पचास से अधिक ब्लॉकों में  लगभग २००० से  ३००० मरीज प्रति वर्ष देखने व उनको दवा देने का मौका मिला| बहुत ही आत्मिक एवं सामाजिक सुख की अनुभूति का क्रम बना |
          
          अक्टूबर २०१६ में संस्था के विभागाध्यक्ष, चिकित्सक पैनल (HOD, Doctor,s Panel) पद पर संस्था द्वारा प्रोन्नत किया गया| वर्तमान समय में संजीवनी वेलफेयर सोसाइटी का कार्य करते हुए ग्रामीण अंचल में संसाधनों से अभावग्रस्त क्षेत्रों में शिविरों का आयोजन करते हुए  होम्योपैथिक चिकित्सा में विभिन्न प्रकार का अनुभव प्राप्त कर रहा हूँ |

              डाॅ• राहुल शुक्ल
          परामर्शीय चिकित्सक
    [संजीवनी वेलफेयर सोसायटी] इलाहाबाद

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कुल उच्चारण स्थान ~ ८ (आठ) हैं ~ १. कण्ठ~ गले पर सामने की ओर उभरा हुआ भाग (मणि)  २. तालु~ जीभ के ठीक ऊपर वाला गहरा भाग ३. मूर्धा~ तालु के ऊपरी भाग से लेकर ऊपर के दाँतों तक ४. दन्त~ ये जानते ही है ५. ओष्ठ~ ये जानते ही हैं   ६. कंठतालु~ कंठ व तालु एक साथ ७. कंठौष्ठ~ कंठ व ओष्ठ ८. दन्तौष्ठ ~ दाँत व ओष्ठ अब क्रमश: ~ १. कंठ ~ अ-आ, क वर्ग (क, ख, ग, घ, ङ), अ: (विसर्ग) , ह = कुल ९ (नौ) वर्ण कंठ से बोले जाते हैं | २. तालु ~ इ-ई, च वर्ग (च, छ, ज, झ, ञ) य, श = ९ (नौ) वर्ण ३. मूर्धा ~ ऋ, ट वर्ग (ट, ठ, ड, ढ, ण), र , ष =८ (आठ) वर्ण ४. दन्त ~ त वर्ग (त, थ, द, ध, न) ल, स = ७ (सात) वर्ण ५. ओष्ठ ~ उ-ऊ, प वर्ग (प, फ, ब, भ, म)  =७ (सात) वर्ण ६. कंठतालु ~ ए-ऐ = २ (दो) वर्ण ७. कंठौष्ठ ~ ओ-औ = २ (दो) वर्ण ८. दंतौष्ठ ~ व = १ (एक) वर्ण इस प्रकार ये (४५) पैंतालीस वर्ण हुए ~ कंठ -९+ तालु-९+मूर्धा-८, दन्त-७+ओष्ठ-७+ कंठतालु-२+कंठौष्ठ-२+दंतौष्ठ-१= ४५ (पैंतालीस) और सभी वर्गों (क, च, ट, त, प की लाईन) के पंचम वर्ण तो ऊपर की गणना में आ गए और *ये ही पंचम हल् (आधे) होने पर👇* नासिका\अनुस्वार वर्ण ~

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