[4/5, 18:19] Dr. Rahul Shukla: *सुमति छंद*
111 212 111 122
सकल साधना सियवर धारौ|
विकल वेदना दुख तम टारौ||
मधुर कामना मन सुख पाऊँ|
भजन राम का निशदिन गाऊँ||
सरल भाव से भव भय भागे|
गहन ज्ञान का अनुभव जागे||
नमन वंदना हरपल ध्याऊँ|
हृदय हार जीवन सुख पाऊँ||
© डॉ० राहुल शुक्ल 'साहिल'
[4/6, 01:35] Dr. Rahul Shukla: *◆सुमति छंद◆* संशोधित
विधान-नगण रगण नगण यगण
(111 212 111 122) 12 वर्ण
2, 2 चरण समतुकांत,4 चरण।
मधुर भावना सब मन होवे।
तड़प जाइये जब नर रोवे।।
जनम व्यर्थ ये नहिं सब खोवें।
फल मिले वही जब तब बोवें।।
*मुकेश शर्मा ओम*
[4/6, 01:35] Dr. Rahul Shukla: सुमति छंद~111 212 111 122
कलम हाथ में अब गह लीन्हा|
सरस काव्य को मन महुँ चीन्हा||
गुनत सोम पावन मन होता|
रटत नाम सुन्दर शुचि स्रोता||
🖊🖊🖊🖊🖊🖊🖊
दिलीप कुमार पाठक सरस
[4/6, 01:35] Dr. Rahul Shukla: *सुमति छन्द*
सरस गीत से मम मन झूमे|
गुरुव प्रीत में बरबस घूमे||
सरल सोम है गुरुवर प्यारे|
सुगढ़ वंदना तन-मन धारे||
©साहिल
[4/6, 01:35] Dr. Rahul Shukla: *सुमति छंद*
111 212 111 122
प्रखर ओज से सब सुख पाएँ|
विनय धीरता अब मन भाएँ||
प्रनत पाल हैं प्रभु सुख दाता|
नमन राम जू चित धर ध्याता||
© डॉ० राहुल शुक्ल 'साहिल'
[4/6, 01:35] Dr. Rahul Shukla: सरस वंदना मधुवन लागे|
प्रनय प्रीत से प्रियतम जागे||
सुखद कर्म से सहचर पाऊँ|
नवल प्रेयसी चित धर लाऊँ||
©🌸🙏साहिल
[4/6, 01:35] Dr. Rahul Shukla: छटत कृष्ण मेघ घुमड़ कारे|
मधुर भावना पकड़त हारे||
समझ कौन भौन सरस खेली|
सहज डोलती नव अलबेली||
😀🙏🏻😀
[4/6, 01:35] Dr. Rahul Shukla: *सुमति छन्द*
वचन सोम के अति प्रिय लागे|
सरल भाव ही हिय मम जागे||
परम मान हैं गुरुवर प्यारे|
कुशल सर्जना प्रभुवर न्यारे||
© साहिल
[4/6, 01:35] Dr. Rahul Shukla: सरस सोम जू गुरुवर मेरे|
सकल वंदना विनय सवेरे||
वचन बोल भी मधुकर लागे|
सुनत सोम जू शुभकर लागे||
©🙏 साहिल
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