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कलियाँ !

काश कलियों को हम
फूल बनते देख पाते, 
उन फूलों को हम
प्रिये की सूरत पर सजाते,
सागर सी सुन्दर
आँखों में डूब जाते,
वो तो अनजानी
आँखों का अदब है,
वरना हम कब के इन
आँखों में खो जाते,
ऐसा लगता क्यूं है
उनको देखने से एक बार,
गम सारे खुशियों में बदल गये होते,
कलियों को हम उनकी
सूरत बनाते।
सागर सी सुन्दर
आँखों में डूब जाते ।

डाॅ• राहुल शुक्ल (साहिल)

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