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गुरू !

19/07/2016

               卐 गुरू 卐

अभाष्य से भाष्य,
अरूचि से रूचि,
रुचि से सुरूचि,
सुरूचि से साकार,
साकार से स्वर्ग,
लौकिक से अलौकिक,
भौतिक से अभौतिक,
लोक से  परलोक,
कायिक से आत्मिक,
दैहिक से दैविक,
आसक्ति से आनन्द,
आनन्द से भक्ति,
भक्ति से शक्ति,
शक्ति से शिव,
शिव से सत्यम,
सत्यम से सुन्दरम,
सुन्दरम से सम्पन्न,
सम्पन्न से समृद्ध,
रोग से निरोग,
भोग से योग,
योग से जोग,
जोग से भक्ति,
भक्ति से पुरूषार्थ,
पुरूषार्थ से परमार्थ,
परमार्थ से परमतत्व,
परमतत्व से परमात्मा,
लोक से  परलोक,
परलोक से देवलोक,
सब दिखाता और,
समझाता जो है,
वो केवल गुरू है,
सब भाषा जो,
समझाता वो गुरु है।
                      
                             
- डाॅ• राहुल शुक्ल

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