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प्यार व दायित्व !

रचना -  1
16/07/2016
                                         
सत्य की कसौटी में जो कसा हो,
उसे विचार कहते हैं।
प्यार की डोर में जो बंधा हो,
उसे परिवार कहते हैं।
भावों से जो सजा हो,
उसे जीवन का सार कहते हैं।
अपेक्षाओं से जो भरा हो,
उसे संसार कहते है।
हर राह पर जो चला हो,
उसे जानकार कहते है।
बोध हर दायित्व का जो किया हो,
उसे जिम्मेदार कहते है।
विश्वास हर रिश्ते में जो किया हो,
उसे एतबार कहते है।
एहसास हर लम्हे का जो किया हो,
उसे  प्यार  कहते है।
सच्ची मेहनत जो किया हो,
उसे साकार कहते है।
मोहब्बत से दिल जो भरा हो,
उसे प्यार कहते है।

- डाॅ राहुल शुक्ल  'साहिल'

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