दो नावों की सवारी
एक तरफ चंचल है, एक तरफ तारा,
दो नावों की सवारी से, मैं तो अब हारा|
प्रेम डगर की चाह कठिन हर पल है खतरा,
पूर्ण समर्पित दिल का कतरा - कतरा|
जबसे उनको चाहा प्यार नजर ही आया,
लेकिन दर्द पुराना कभी भुला न पाया|
बस यही सीख है भाई, पालो नही बीमारी,
बड़ी कठिन है दो नावों की सवारी|
©डॉ राहुल शुक्ल साहिल
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