Skip to main content

संधि का पूर्ण ज्ञान (गुरुवर भगत सहिष्णु जी द्वारा)

🙏 संधि का विषय पढ़ने से पहले कुछ और भी महत्वपूर्ण तथ्यों को देख लेना चाहिए | इनके बिना संधि व संधि-विच्छेद अक़सर ही गलत हो जाते हैं | संधि को लेकर हमारे मन में कुछ अनर्गल बातें गहरे तक पैठ करवा दी गई है , जो भ्रम का कारण बनतीं हैं |
संधि के ६ महत्वपूर्ण तथ्य हैं, इन्हें हृदयंगम / कंठस्थ कर लेने से हमेशा के लिए दुविधाओं का परिहार हो जाता है|

तो ये लीजिए संधि के तथ्य 😊

(1)  पहला तथ्य -   दो वर्णों के मेल से विकार होने पर ही संधि होती है ।

( 2)  दूसरा तथ्य -  सामान्यत: संधि का प्रत्येक उदाहरण स्वतः ही समास का उदाहरण होता है , पर समास का प्रत्येक उदाहरण संधि का उदाहरण नही होता।

(3)  तीसरा तथ्य -   संधि में एक स्थान पर एक ही संधि नियम लागू होगा। यानि कि पहली बार जिस नियम से संधि हुई है, वही मान्य है। भले ही शब्द में फिर से सन्धि होती हो,  द्वितीय नियम मान्य नही हैं।

(4)  चौथा तथ्य -  किसी भी शब्द का सन्धि-विच्छेद करते समय उसे तोड़ने की निम्न स्थितियाँ हैं~

चौथे तथ्य का विस्तार~

१. पहला प्रयास~ सहज व सार्थक खण्ड हो ही।
 
२. दूसरा प्रयास~ पहले खंड का अर्थ प्राप्त हो जाए + दूसरा खंड निरर्थक हो तो भी उसे प्रत्यय मान कर संधि मान लेंगे |

३. तीसरा व अंतिम ~ दोनों खंड निरर्थक ही हो रहें हो, परन्तु किसी नियम से सार्थक शब्द बनता हो तो वहाँ संधि मान्य होगी | (अयादि संधि)

5)  पाँचवा तथ्य -  किसी एक सन्धि पद में एक से अधिक स्थान पर भी सन्धि विच्छेद हो सकते है।
वो तभी माने जायेगे जब एक ही सन्धि नियम से सभी सन्धि-विच्छेद किये गये हो, अलग नियम नही होना चाहिए।

     उदाहरण
1) सत् + चित् + आनन्द= सच्चिदानंद
2) सच्चित् + आनन्द= सच्चिदानंद
3) सत् + चिदानन्द= सच्चिदानंद

(6) छठवा तथ्य - कई बार कुछ शब्द ऐसे भी होते हैं जिनके एक से अधिक प्रकार से सन्धि विच्छेद होते हैं और सभी सही भी होते हैं। ऐसी स्थिति में वरीयता द्वारा सही उत्तर चुना जायेगा।
  उदाहरण -
समुदाय = समुत् + आय (स्वर सन्धि)
समुदाय = सम् + उदाय (व्यंजन सन्धि)

एक से अधिक उत्तर सही होने पर वरीयता इस प्रकार होगी••••• 

१. संधि क्रम से वरीयता~
सबसे पहले  स्वर  (स्वर में भी क्रम है-दीर्घ-गुण-वृद्धि-यण-अयादि)
स्वर  के बाद  व्यंजन
व्यंजन  के बाद  विसर्ग

२. वर्णक्रम से वरीयता~
जो वर्ण वर्णमाला में पहले आता है, उसकी संधि पहले होगी और जो वर्ण वर्णमाला में बाद में आता है , उसकी संधि बाद में ही होगी |
जैसे-
सज्जन
सत्+जन (१)
सद्+जन (२)

रावण
रौ+अन (अयादि)
रा+वन (व्यंजन)

    🙏 जय-जय🙏

[1] स्वर संधि

स्वर वर्ण से स्वर वर्ण के मेल से होने वाला विकार 'स्वर-संधि' कहलाता है |

यह विकार भी पाँच प्रकार से (हिन्दी भाषा में तो) होता है , यानि कि स्वर-संधि के पाँच प्रकार हैं~
१. दीर्ध स्वर-संधि
२. गुण स्वर-संधि
३. वृद्धि स्वर-संधि
४. यण स्वर-संधि
५. अयादि स्वर-संधि

ध्यान रहे कि उक्त क्रम सुनिश्चित है और इसमें परिवर्तन नहीं करना चाहिए, अन्यथा सही विकल्प चयन में भ्रम होने लगता है |

१.  दीर्घ स्वर संधि
सूत्र 👇
सजातीय जब स्वर मिले, दीर्घ रूप में जा खिले |

सजातीय स्वर के ४ जोड़े हैं~
अ-आ, इ-ई, उ-ऊ, ऋ-ॠ

इनमें प्रत्येक में परस्पर मेल (कैसे भी) होने पर इनका ही दीर्घ वर्ण हो जाता है , अर्थात्

अ+आ, आ+अ, अ+अ , आ+आ = आ
इसी प्रकार👇
"इ-ई" कैसे भी मिले, परिणाम "ई" ही होगा |
"उ-ऊ" कैसे भी मिले, परिणाम "ऊ" ही होगा |
"ऋ-ॠ" कैसे भी मिले, परिणाम "ॠ" ही होगा |

उदाहरण 👇देखिए
       शतांश
शत   +   अंश
   अ  +  अ (ऊपर का अनुस्वार अप्रभावित रहेगा)
शत् (रहा; अ , निकलने से)
  =   आ
=शतांश

🙏 जय-जय🙏

गुण संधि ~ सूत्र :

इ-ई, उ-ऊ, ऋ मिले, अ-आ पीछे साथ |
क्रमश: ए, ओ, अर् बने, बस इतनी सी बात ||
यानि कि अ-आ के बाद इ-ई हो तो ए, उ-ऊ हो तो ओ और ऋ हो जाता है |

जैसे~

राका      +      ईश
    आ    +      ई
          =ए
=राकेश
महा+ ईश= महेश
गण+ ईश= गणेश
रमा+ ईश= रमेश
सप्त+ऋषि = सप्तर्षि
महा+ उदय= महोदय
🙏

वृद्धि सूत्र ~

अ-आ में ए-ऐ मिले, ऐनक का ऐ नाक़ |
अ-आ में ओ-औ मिले, औरत का औ पाक़ ||

उदाहरण ~

१. विद्या       +       एव
         आ              ए
           |_     ऐ     _|
             = विद्यैव

२. धन      +      औषध
       अ             औ
        |_    औ   _|
    = धनौषध

यण संधि सूत्र

इ-ई, उ-ऊ, ऋ पाछै, विजातीय स्वर होय |
क्रमश: य् , व् , र् , बने, इसमें भेद न कोय ||

यानि कि ~

इ-ई+विजातीय /अन्य स्वर (इ-ई को छोड़कर कोई भी) = इ-ई का य् होगा (आधा)

उ-ऊ+विजातीय/अन्य स्वर (उ-ऊ को छोड़कल कोई भी) = उ-ऊ का  व् होगा (आधा)

ऋ+विजातीय/अन्य स्वर (ऋ को छोड़कर कोई भी) = ऋ का र् होगा (आधा)

एक उदाहरण देखिए ~

न्याय

  नि    +    आय
न्  |           |
    इ         आ
      =  य् (इ बदला है य् में और यह अगले आ में जुड़ेगा)
तो शब्द बना~
      न्याय

🙏 जय-जय 🌐

Comments

Popular posts from this blog

वर्णों के 8 उच्चारण स्थान

कुल उच्चारण स्थान ~ ८ (आठ) हैं ~ १. कण्ठ~ गले पर सामने की ओर उभरा हुआ भाग (मणि)  २. तालु~ जीभ के ठीक ऊपर वाला गहरा भाग ३. मूर्धा~ तालु के ऊपरी भाग से लेकर ऊपर के दाँतों तक ४. दन्त~ ये जानते ही ...

वर्णमाला

[18/04 1:52 PM] Rahul Shukla: [20/03 23:13] अंजलि शीलू: स्वर का नवा व अंतिम भेद १. *संवृत्त* - मुँह का कम खुलना। उदाहरण -   इ, ई, उ, ऊ, ऋ २. *अर्ध संवृत*- कम मुँह खुलने पर निकलने वाले स्वर। उदाहरण - ए, ओ ३. *विवृत्त* - मुँह गुफा जैस...

व्युत्पत्ति के आधार पर शब्द के प्रकार

व्युत्पत्ति के आधार पर शब्द व्युत्पत्ति का अर्थ है ~ विशेष प्रयास व प्रयोजन द्वारा शब्द को जन्म देना| यह दो प्रकार से होता है~ १. अतर्क के शब्द (जिनकी बनावट व अर्थ धारण का कारण ...