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राधारमण छन्द

        राधारमण छंद
विधान~ [नगण नगण मगण सगण]यय
(111  111  222  112)
12 वर्ण, 4 चरण [दो-दो चरण समतुकांत]
(नगण+नगण+मगण+सगण, १२ वर्ण प्रति चरण युक्त चार चरण, क्रमश: दो-दो चरण समतुकान्त)

चहल पहल का आयोजन है|
जय जय शुभता संयोजन है||
कविवर जन का सम्मेलन है|
सुरभित  हरषे मेरा मन है||

तन - मन सँवरे प्यारी धुन हो|
कल- कल करती धारा गुन हो||
सब जन  मिलते  तारे गिनते|
हर  अटकल  की  राहें चुनते||

   ©साहिल
    जय जय

झटपट मन दौड़ाओ जी|
नटखट बन आ जाओ जी||
चटपट कुछ तो खाओ आ|
कर हलचल छा जाओ आ||
🖊सरस🖊

हलचल अब तो होगी मन में|
प्रियतम  तड़पेगी जीवन में||
हम तुम मिलके गाना लिखते|
प्रियवर   तुमसे वादा रखते||

   साहिल

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