Skip to main content

सिसकियाँ (पं. सुमित शर्मा 'पीयूष')

  विषय : सिसकियाँ
🙏🌸🙏🌸🙏🌸🙏

माँ को रोते देखा है

बिखरेपन सी महक बिछी है,
अब आँगन-ओसारे में,
सूखे पत्ते टूटे-बिखरे,
हैं कच्चे गलियारे में!

निर्जनता के बीज, वक्त को
घर में बोते देखा है!
कैसे कह दूँ खुश हूँ? मैंने,
माँ को रोते देखा है!

कभी झुंड गौरैयों का,_
जिस घर में चहका करता था!
वात्सल्य का पुष्प जहाँ,
आँचल में महका करता था!

रोज सिसकियों के सूते में,
शाम पिरोते देखा है!
कैसे कह दूँ खुश हूँ? मैंने
माँ को रोते देखा है!

~पं० सुमित शर्मा “पीयूष
संपर्क : 8541093292

Comments

Popular posts from this blog

वर्णमाला

[18/04 1:52 PM] Rahul Shukla: [20/03 23:13] अंजलि शीलू: स्वर का नवा व अंतिम भेद १. *संवृत्त* - मुँह का कम खुलना। उदाहरण -   इ, ई, उ, ऊ, ऋ २. *अर्ध संवृत*- कम मुँह खुलने पर निकलने वाले स्वर। उदाहरण - ए, ओ ३. *विवृत्त* - मुँह गुफा जैस...

वर्णों के 8 उच्चारण स्थान

कुल उच्चारण स्थान ~ ८ (आठ) हैं ~ १. कण्ठ~ गले पर सामने की ओर उभरा हुआ भाग (मणि)  २. तालु~ जीभ के ठीक ऊपर वाला गहरा भाग ३. मूर्धा~ तालु के ऊपरी भाग से लेकर ऊपर के दाँतों तक ४. दन्त~ ये जानते ही ...

व्युत्पत्ति के आधार पर शब्द के प्रकार

व्युत्पत्ति के आधार पर शब्द व्युत्पत्ति का अर्थ है ~ विशेष प्रयास व प्रयोजन द्वारा शब्द को जन्म देना| यह दो प्रकार से होता है~ १. अतर्क के शब्द (जिनकी बनावट व अर्थ धारण का कारण ...