साहित्य-संगम
पावका नः सरस्वती
शपथ-पत्र
मैं ........................
*ईश्वर* को साक्षी मानकर शपथ लेता हूँ कि
♢ साहित्य-संगम के हित के लिए मन वचन धर्म से क्रियाशील रहते हुए सुन्दर सकारात्मक जन हितकारी गद्य व पद्य का सृजन करूँगा/ करूँगी।
♢ पूरी निष्ठा व लगन के साथ सभी से सामञ्जस्य रखते हुए संगठन के सभी कार्यों एवं पद व दायित्वों को पूरा करने का पूर्ण प्रयास करूँगा/ करूँगी।
♢ संगठन के नियम अनुशासन व उद्देश्य की पूर्ति हेतु कार्य एवं अनुकरण का पूर्ण प्रयत्न करूँगा/ करूँगी।
♢ किसी भी शारीरिक मानसिक व सामाजिक मानसिकता सोच व व्यक्तिगत दबाव का प्रभाव संगठन के कार्यकलाप पर नही पड़ने दूँगा/ दूँगी या किसी परेशानी की स्थिति में पूर्व सूचित कर दूँगा/ दूँगी।
♢ सर्वहित संगठन हित में ही कार्य करूँगा/ करूँगी एवं मेरे किसी कार्य में कोई कमी पाये जाने पर या कार्य, गरिमा के विपरीत पाये जाने पर कमी को स्वीकार करके संगठन के कार्यो में बाधा न बनते हुए सहयोग करूँगा/ करूँगी।
♢ समस्त स्रोत एवं साधनों से संगठन व साहित्य हित की साधना को सर्वोपरि मानकर अपना समय श्रम व अंश दान का सहयोग यथाशक्ति करूँगा/ करूँगी व अन्य विज्ञ व नवोदित लोगों को जागरूक करूँगा/ करूँगी।
♢ कार्यानुरूप पद उत्तरदायित्व को समयानुसार पूर्ण करने की कोशिश करूँगा/ करूँगी तथा किसी की अनुपस्थिति में अन्यान्य कार्यो में भी मदद की कोशिश करूँगा/ करूँगी।
सबका प्रयास
सबका विश्वास
सबका विकास
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