संगम की पुकार
भागदौड़ भरी आपाधापी की जिन्दगी में लोगों के पास अपनी सेहत और अपनों की सेहत को रोगहीन रखना भी बड़ा दुष्कर हो गया है। आये दिन शारिरिक मानसिक रोगों एवं विकृतियों की संख्या बढ़ती जा रही है। हमें अपनी जीविका के लिए भागते भागते ही पूरा समय खर्च हो जा रहा है। इन सबके बीच बहुत से प्रतिभाशाली युवा व प्रौढ़ लोग अपने रूचिकर कार्यो के लिए या तो समय नही निकाल पाते या फिर कौशल और प्रतिभाओं का दहन होता है।
कुछ स्वशाषी वित्तविहीन संस्थानों ने सूचना प्रौद्यौगिकी के सहयोग से साहित्य कला व विज्ञान के क्षेत्र में कदम बढ़ाया। बहुत से वैज्ञानिक शोधों और यंत्र यांत्रिकी सुख सुविधायों से मनुष्य का जीवन भर गया सराबोर हो गया।
फिर भी मानसिक पटल विचलित है, कुरितियाँ व्याप्त है, शुद्ध विचार लुप्त है, अनाचार आप्त है, दुष्प्रवृत्ति प्लावित है।
जरुरत है वैचारिक क्रान्ति की, आपसी सामन्जस्य की, समाकलित एकता की, जरूरत है अनुशासित जीवन की, सुपोषित सेहत पूर्ण जीवन की,जरुरत है सुन्दर तन, मन, समाजिक विचार और आत्मा की शुद्धि की।
इतने वैज्ञानिक विकास, सामाजिक विकास और राजनैतिक विकास के बाद भी सच्चे अनुसरणीय विचार, अच्छे गुरु, अच्छे साहित्य का अभाव सा लगता है या लोगों तक अच्छा पहुच ही नही पा रहा। मीडिया और सूचना प्रौद्यौगिकी ने इतना विकास कर लिया की अच्छा और बुरा दोनों बराबर मात्रा में लोगों तक तुरन्त पहुँचने लगा, बुरे पर कुछ जल्दी ही नजर पड़ने लग गयी। बार बार पढ़ने देखने सुनने से विकृति तो आनी ही है।
जरुरत है विचारों के संगम की,
जरुरत है बौध्दिकों के संगम की,
जरुरत है सुमन के संगम की,
जरुरत है सत्य के संगम की,
जरुरत है सत्प्रवृत्ति सम्वर्धन की,
जरुरत है सेवा के संगम की,
जरुरत है स्वास्थ्य के संगम की,
जरुरत है जन हित के संगम की,
जरुरत है सत हित संगम की
जरुरत है साहित्य के संगम की,
जरुरत है गंगा और यमुना के संगम की,
जरुरत है पवित्रता के संगम की,
जरुरत है पावनता के संगम की,
जरुरत है विज्ञान के संगम की,
जरुरत है समुचित सदुपयोग की।
मीडिया व मोबाइल के युग में पूरे भारतवर्ष के लोग बड़ी आसानी से एक साथ एक जगह अपने विचार विमर्श और सृजन का समाकलन दैनिक रूप से बिना कही जाये ही कर लेते हैं।
ऐसे ही वाट्सअप और फेसबुक पर प्रादुर्भाव हुये एक साहित्य समूह ने उच्च उद्देश्यों को लेकर अपने कदम साहित्य के क्षेत्र में बढ़ाये।
समूह का नाम साहित्य संगम
उच्च शिक्षा प्राप्त डाक्टरेट उपाधि सम्पन्न, शिक्षक, चिकित्सक, आचार्य, व्यवसाय प्रबंधक, सरकारी विभागों के उच्च अधिकारी, पत्रकार बन्धु, व वाणिज्यिक कर्मचारी भी समूह से जुड़कर साहित्य सृजन की अपेक्षाओं को पूरा कर रहे हैं एवं समाज के सामने उदाहरण प्रस्तुत कर रहे हैं।
आवश्यकता है आगे बढ़ने की,
आवश्यकता है सद्विचार सहयोग की,
आवश्यकता है सच्चे इन्सान की,
आवश्यकता है अच्छे साहित्य की,
आवश्यकता है साहित्यकार की,
आवश्यकता है सृष्टि स्वरुप सृजनकार की,
आवश्यकता है समय दान की,
आवश्यकता है सद् विचार की,
आवश्यकता है अंश दान की,
आवश्यकता है आर्थिक सहयोग की।
ऐसे पावन पुनीत संगम में कौन डुबकी लगाना चाहता है,
कौन कौन पावन मन से सागर मन्थन में भागीदार बनना चाहता है ये तो आगे आने वाला समय बतायेगा।
ऐसे ही सर्वजन समभाव सर्वजन हिताय के उद्देश्यों की पूर्ति के घट में अंजलि जल की उम्मीद लिये मलयज रस पिपासा की आस में साहित्य संगम परिवार
साहित्य संगम परिवार का सदस्य बनने हेतु सम्पर्क करें।
07/11/2016
✍साहित्य संगम समूह✍
गंगा यमुना और सरस्वती नदियों के अलावा क्या और भी नदियों का संगम हो सकता है ?
क्या यह संभव है ?
जी हाँ यह सम्भव हो चुका है।
शिप्रा, नर्मदा , गंगा, यमुना, ताप्ती, रावी, महानदी, बेतवा, सोन, चम्बल, टोन्स (टमस) घाघरा, गोमती, सरयू आदि नदियों के किनारे बसने वाले महान साहित्यकार एवं कलाकार जो हमारे साहित्य संगम समूह से जुड़े हुये है उन सबका संगम,
काव्यरस का संगम,
उनके भावों का संगम,
उनकी रचनाओं का संगम,
उनकी प्रतिभाओं का संगम
उनकी आशाओं का संगम,
हिन्द में हिन्दी का संगम,
भाषा में भक्ति का संगम,
सृजन की सरिताओं का संगम,
नेह की नदियों का संगम,
भाव की भावाव्यक्ति का संगम,
काव्यकारों की कविताओं का संगम,
काव्यकारों की बोलती कलम का संगम,
अक्षरों का संगम,
शब्दों का संगम,
मन की मधुर मुस्कान का संगम,
सामाजिक सरोकारों का संगम,
परिवर्तन और बदलाव का संगम,
साहित्यकारों का साहित्य संगम।
सभी को बधाई इस अद्भुत संगम में प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से डुबकी लगाने या दर्शन आनन्द लेने के लिए सादर सहृदय धन्यवाद व आभार
15 अगस्त को हुए अद्भुत, अनुपम और ऐतिहासिक आनलाइन काव्य सम्मेलन के सफल समापन के बाद सम्मान पत्र वितरण समारोह के ऐतिहासिक समापन पर 100 से अधिक प्रमाण पत्र का वितरण हुआ व काव्यकारों को प्राप्त हुआ।
जिसमें सभी साहित्य रत्न साथियों के अथक परिश्रम को धन्यवाद,
बेहतरीन समापन कराने के लिए सभी साहित्य संगम पदाधिकारायों को हार्दिक धन्यवाद व आत्मिक बधाई।
सभी 48 प्रतिभागी, मुख्य अतिथि, विशिष्ट अतिथि, एवं आदरणीय अध्यक्ष एवं आदरणीय उपाध्यक्ष महोदय जी को हार्दिक धन्यवाद।
सम्मान पत्र वितरण करने वाले सभी साहित्यकारों को धन्यवाद।
सभी प्रत्यक्ष रूप से जुड़े रचनाकारों (आनलाइन) या बाद में हमारे सम्मान समारोह को अवलोकित करने वाले सभी साहित्य संगम के सदस्यों को हार्दिक बधाई व धन्यवाद।
इसी प्रकार हम आगे बढ़ते रहे आप सबके साथ यूं ही चलते रहें,
साहित्य की नदियों में स्नान करते रहें,
इस संगम के जल का पान हम करते रहें।
आप सभी के सहयोग से ही साहित्य की ज्योति समाज में जलती रहेगी एवं
नदियों की अनवरत धारा बहती रहेगी,
हिन्दी की तरंग सर्वत्र बहती रहेगी।
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इन्हीं शब्दों के साथ
नदियों के मिलन के साथ
साहित्य के संगम के साथ
सागर की गहराईयों के साथ
साहिल का शान्ति भरा साथ
सभी को मेरा सलाम
नमन
सभी को हार्दिक बधाई व धन्यवाद सबके प्रत्यक्ष व परोक्ष सहयोग का सभी सदस्यों को धन्यवाद देते हुए बताना चाहूँगा कि कुछ लोगों के नाम वाट्सएप प्रोफाइल पर नही दिख रहें कृपया अपने नाम लिख लें या हमें भेज दें।
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धन्यवाद
डाॅ• राहुल शुक्ल
साहिल
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