प्रगति/विकास/उत्थान
हार जीत की न बात,
राह पे बढ़ो प्रभात,
देश की पुकार शान,
भारती युवान हो।
वान का बढ़े स्वमान,
शान की चढ़े कमान,
रात का न अंधकार,
धूप से डरो नही।
जीत का किशोर जान,
राह का न हो गुमान,
धीर हो निश्चय भान,
जीत हो विकास हो।
बाप का सम्मान जान,
मात को जहान मान,
देश का करो विकास,
नाम हो पराग हो।
शारदे महान साथ,
कर्म से करो सनाथ,
रात हो य हो प्रभात,
जीत हो विकास हो।
वाहिनी मराल रंग,
राम दूत रूद्र संग,
जीत लें जहान जंग,
गान हो युवान हो।
शेर साहसी युवान,
वात सी विशाल चाल,
आस है मशाल भाल,
तान हो जवान हो।
राह भू उत्थान जान
दान पुण्य होय आन
वेद हो पुराण होय
जीत हो विकास हो।
डाॅ• राहुल शुक्ल साहिल
अनमोल पल
माँ का आँचल प्यारा था,
पिता का हस्त सहारा था,
जीवन के अनमोल वो पल,
बचपन बड़ा ही न्यारा था।
जब पहला कदम बढ़ाया था,
जब कलम हाथ में पकड़ा था,
था वो जीवन पल अनमोल,
जब प्रथम शब्द में बोला था।
जब पहला निवाला खाया था,
जब भाई ने मुझे सिखाया था,
जीवन के अनमोल वो पल,
जब पहला वर्ण बनाया था।
मन्दिर में कदम बढ़ाया था ,
फूलों की माला चढ़ाया था,
जीवन के अनमोल वो पल,
जब जन्म जहाँ में पाया था।
पहला आलिंगन पाया था,
एहसास प्रेम का आया था,
सुनहरे अनमोल वो पल,
प्रीत सनम का साया था।
पहली बार जब पुत्र को छुआ था,
सुखद अनुभव यादगार हुआ था,
पल वो अनमोल थे जीवन के,
जिस पल अपनों का साथ मिला था।
✍ डाॅ• राहुल शुक्ल साहिल
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