मातृभूमि

विधा  ◆ गाथ छंद◆

विधान~
[ रगण  सगण गुरु गुरु]
( 212   112  2   2)
8 वर्ण,4 चरण
दो-दो चरण समतुकांत]

मातृभू गुन गायेगें।
धन्य भूमि बनायेगें।।
प्रेम गान सुनायेंगे।
भारतीय कहायेंगें।।

आन बान बचायेंगे।
देश शान बनायेंगे।।
नौजवाँ समता छाये।
मान भी बढ़ता जाये।।

देश प्रेम जगे तेरा।
भाव नेह सजे मेरा।।
शक्ति से युग जागेगा।
सृष्टि से तम भागेगा।।

*डाॅ• राहुल शुक्ल साहिल*

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