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जीवन की रीत (डॉ० राहुल शुक्ल 'साहिल')

नफरत की  मिट्टी में  पौध नफरत का ना बोना,
जो प्रेम  आपसे करते हैं उनके रिश्ते ना खोना|
माना संघर्षों की बगिया में स्वारथ के रिश्ते मिलते हैं,
पर बीज, प्रेम का बोने से कंटक भी हँसते मिलते हैं|

कंटक को पीछे छोड़, खुशियों का पुष्प खिलाएँगें|
मधुर -मधुर सौगातों से जीवन बगिया महकाएँगे|
जो भूल गए है हमको, उनकी करना परवाह नही,
हर प्राणी में परमेश्वर है, जीवन की रीत बनाएँगे|

© डॉ० राहुल शुक्ल 'साहिल'

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