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प्यार गजल और मन की बातें

अधूरा है संसार मधुप्रीत के बिना,
अधूरा है संसार  संगीत के  बिना,
मन मन्दिर में बस जाए जब कोई,
अधूरा है संसार मनमीत के बिना|

© डॉ० राहुल शुक्ल 'साहिल'

दिवाना दिल बिखर कर मोतियों सा टूट जाता है,
कोई हमदम गले का हार जब रूठ जाता है|
'साहिल'

कारण तो आप ही जाने प्रभु जी,
गुरुवर की कृपा महान है|
हृदय कोश से निकले अद्भुत,
व्याकुल विकल उद्गार है|

सर्जन अनुपम है सुखद सरल,
घटता  जीवन  संताप  है |
पल - पल गुरुवर की धारा से,
मिटता कालुष जग पाप है|

   © डॉ० राहुल शुक्ल 'साहिल'

बंशी धुन है प्रीत की, मनभावन है रात|
दीपक जगमग लग रहे, मोर पंख सौगात||

सब रंगो की रंगोली, जैसे पंख मयूर|
बंशी की धुन मोह ले, राधा मन भरपूर||

दीप जलाओ प्रीत का, रंगोली हो द्वार|
तन मन में हो भावना, शुद्ध सरल सहकार||
          
              उदासी
कभी जो पास आओ तुम गले से मैं लगा लूँगा,
सुखद अनुभूतियाँ मिलकर पलों में  मैं जगा लूँगा,
सुलगती प्रीत की रातें बिताई कैसे हैं दिलबर,
मिली तुमसे मुहब्बत जो उदासी मैं मिटा लूँगा|

कार्यकुशल  हो दृढ़  हो  दक्ष,
तन-मन सुन्दर स्वच्छ पुनीत,
सकल साधना पूजा सुरभित,
ज्ञानवान  हो  सरल   सुभीत|

कौशल  प्रतिभा दक्ष बनाए,
बल बुद्धि विद्या दक्ष बनाए|
हर  मंजिल  को पाए  दक्ष,
जीवन  सफल बनाए दक्ष|
       
     
        बाल कविता
१)
राहुल पप्पू  लल्लू मल्लू,
भोलू बिट्टू और मकल्लू,
जल्दी खाओ जल्दी सोओ,
जल्दी उठकर करो पढ़ाई,
आपस में न करो लड़ाई,
प्रेम ज्ञान है  बड़ी कमाई|

२)
मात - पिता का कहना मानो,
अपनी कमियाँ खुद पहचानो|
अपनी प्रतिभा प्रखर बनाओ,
जीवन पथ को सफल बनाओ|

३)
तारों की है दमक दामिनी,
चंदा की है चमक चाँदनी,
रात बड़ी है काली - काली,
सो जा, सो जा मेरे लल्ला,
नींद कि रानी है मतवाली|

    _मनहरण-घनाक्षरी_
💐🙏🏻💐🙏🏻💐🙏🏻💐

मन में शृंगार लिए, नैनों में कटार लिए, दिख रही रमा जैसी, लड़की कमाल है|

सूरतिया साँवल है, अधर रसावल है, तन देख गर्म होत, जलती मशाल है |

लचकत कमरिया, सरकत चुनरिया, चूड़िया खनक रही, चोली लाल लाल है|

पैजनी बुलाय रही, थोड़ा तरसाय रही, बहकत उमरिया, मस्त मस्त चाल है|

© डॉ० राहुल शुक्ल 'साहिल'

           गज़ल़ ~
212  212  212  212

प्यार की बात हमको सुनाओ जरा|
हाल दिल का हमें भी बताओ जरा|

रात  बेचैन सी बस अभी कट रही,
प्रेम का  दीप मन में जलाओ जरा|

आग तन में लगी है मुहब्बत़ की जो,
प्रीत की रीत  रग में जगाओ  जरा|

ताल तुझसे मिली मन बहकने लगा,
गीत मधुरिम सनम गुनगुनाओ जरा|

दूर साहिल नहीं पास बैठा यहीं|
प्यार है प्यार को आजमाओ जरा||

© डॉ० राहुल शुक्ल 'साहिल'

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