सिसकियाँ विधा~गीत आकण्ठ हृदय से निकल गयीं| सिसकीं होठ सिसकियाँ|| सिसक-सिसक सिसकी कहती| अँखियाँ बहतीं ज्यों नदियाँ|| बिछड़ गयीं पर तुम तो खुश थीं| भूल गया बिछड़न गम को|| किन्...
जितना भी चाहता हूं, सब मिल ही जाता है, अब दुख किस बात का ॽ
जितना भी चाहता हूं, सब मिल ही जाता है, अब दुख किस बात का ॽ