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Showing posts from January, 2017

परिचय

              अथध्यानम् शान्ताकारं भुजगशयनम् पद्मनाभं सुरेशं। विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्णं शुभाग्ङम्।। लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यं। वन्दे विष्ण...

मलयज छन्द

     विधा  ◆मलयज छंद◆ शिल्प- 8 लघु प्रति चरण          चार चरण समतुकांत। सजर सवर नर ।         झटपट चल घर।। हरदम दम भर। तन मन भल कर।  अचल अटल बल। नमन सकल भल।। मत कर हलचल। बनत करम फल...

वन्दना शिव शंकर

विषय ▪ इष्ट देव महादेव को समर्पित वन्दना रचियता ▪ डाॅ• राहुल शुक्ल'साहिल' मन में विचार उत्पन्न करने वाले की वन्दना हम करते हैं, •••••वन्दना हम करते हैं, वाणी में वचन उत्पन्...

साहित्य संगम

       संगम की पुकार भागदौड़ भरी आपाधापी की जिन्दगी में लोगों के पास अपनी सेहत और अपनों की सेहत को रोगहीन रखना भी बड़ा दुष्कर हो गया है। आये दिन शारिरिक मानसिक रोगों एवं विक...

वन्दना

[ इष्ट देव महादेव को समर्पित वन्दना रचियता ▪ डाॅ• राहुल शुक्ल'साहिल' मन में विचार उत्पन्न करने वाले की वन्दना हम करते हैं, •••••वन्दना हम करते हैं, वाणी में वचन उत्पन्न करने ...

शपथ पत्र

           साहित्य-संगम            पावका नः सरस्वती           शपथ-पत्र मैं  ........................ *ईश्वर* को साक्षी मानकर शपथ लेता हूँ कि ♢ साहित्य-संगम के हित के लिए मन वचन धर्म से क्रियाशील र...

उत्थान/ विकास/प्रगति

        प्रगति/विकास/उत्थान हार जीत की न बात, राह पे बढ़ो प्रभात, देश की पुकार शान, भारती  युवान हो। वान का बढ़े स्वमान, शान की चढ़े कमान, रात का न अंधकार, धूप से डरो नही। जीत का क...

बिंदिया

🏻        बिं दिया बिंदिया पहचान सजना प्रेम की धार सजना तू मेरी जान सजना। बिंदिया है प्यार सजना गोल आकार सजना मुखड़े की है सुन्दरता। बिंदिया है चाँद सजना फूल की फुहार सजन...

निशान

*विधा* ◆ धुनी छंद ◆ विधान- [भगण जगण गुरु ] (211  121   2) 7 वर्ण,यति ,4 चरण, 2-2 चरण समतुकांत। रोशन निशान हो। प्रेम धन शान हो।। नेह मन मान हो।। जीवन जहान हो।। पावन निशान हो। जान पहचान हो।। चंदन स...

अभिव्यक्ति

कुसुमसमुदिता छंद विधान~ [ भगण नगण नगण गुरु] (211   111   111  2) 10वर्ण,4 चरण दो-दो चरण समतुकांत] मंथन तन मन धन का। वंदन जन भल दल का।। संगम अगम अचल हो। जीवन सृजन सफल हो।। प्रात रजस शुभ करनी। रा...

मातृभूमि

विधा  ◆ गाथ छंद◆ विधान~ [ रगण  सगण गुरु गुरु] ( 212   112  2   2) 8 वर्ण,4 चरण दो-दो चरण समतुकांत] मातृभू गुन गायेगें। धन्य भूमि बनायेगें।। प्रेम गान सुनायेंगे। भारतीय कहायेंगें।। आन बान ...

मौक्तिक दाम छन्द

विधा ◆ मौक्तिक दाम छंद◆ विधान~ [ जगण जगण जगण जगण] (121   121   121  121) 12वर्ण,4 चरण दो-दो चरण समतुकांत] भजो मन राम चलो रघु धाम।   हरे सब दोष मिले जग नाम।। हटे हर लोभ लगे प्रभु भोग।  घटे तम क्षोभ ...