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Showing posts from 2018

होम्योपैथिक पर आलेख

वर्तमान समय में आधुनिक चिकित्सा पद्धति (एलौपैथी) के दुष्प्रभाव से सामान्य जन काफी परेशान हैं| नित्य नयी - नयी बिमारियाँ पनप रही है, एण्टीबॉयोटिक का प्रभाव बेअसर हो रहा है| ड...

आके झटपट लो पुचकार (सरस)

विधा~गीत विषय~शक्ति आके झटपट लो पुचकार तू है जीवन का आधार, तेरा मुझ पर है अधिकार| मइया हो जाओ बलिहार, आके झटपट लो पुचकार|| भक्ति शक्ति के गीत पुनीत| छंदों  में  गूँजे  संगीत|| मात...

दोहा (छुटपुटिया)

      मतदाता   मतदाता जन ही करे, जन प्रतिनिधि की खोज|     वादे सारे भूल कर, नित्य कर रहे भोज||         🏆 साहिल 🏆 विषय~रास विधा~दोहा 🌹🙏🏻🌹🙏🏻🌹🙏🏻🌹🙏🏻🌹 रास - आस  में है बसी, परम  प्र...

मुक्तक का भण्डार

      🎊  सुहानी  🎊    (1222×4 मुक्तक) चली आओ सुहानी शाम तुम बिन है अधूरी सी|  मुहब्बत की  रवानी में  खिलें  बरसात  पूरी सी| मचल जाए  हृदय मेरा  सुनो इस प्रेम सिंचन से| कि कट  जाए  हमा...

हिन्दी राष्ट्र भाषा

       🌷हिंदी राष्ट्रभाषा 🌷 हिंदी हमारे भाव, मन व हृदय की आत्माभिव्यक्ति का माध्यम है। भाषा की उच्चता पर ही मानव मात्र व समाज का कल्याण निर्भर है| हिन्दी मात्र हमारी मातृभ...

माँ भारती के नाम पत्र

माँ भारती को हृदय से नमन करते हुए, अपनी आत्मिक अभिव्यक्ति कह रहा हूँ, माँ वागेश्वरी की कृपा से मेरा होम्योपैथिक का ज्ञान सम्पर्कियों को लाभान्वित कर रहा है और मेरा समुचित ज...

बाल कविता 'साहिल'

    बाल कविता १) राहुल पप्पू  लल्लू मल्लू, भोलू बिट्टू और मकल्लू, जल्दी खाओ जल्दी सोओ, जल्दी उठकर करो पढ़ाई, आपस में न करो लड़ाई, प्रेम ज्ञान है  बड़ी कमाई| २) मात - पिता का कहना मा...

रमेश छन्द (गुुरु स्तुति)

🎊🎊🎊🎊🎊🎊🎊🎊🎊🎊      ♧  रमेश छंद  ♧ विधान ~ [ नगण यगण नगण जगण] ( 111  122  111  121 ) 12 वर्ण, 4 चरण दो-दो चरण समतुकांत]                    *गुरु महिमा* गुरुवर   मेरे  भगत   महान। तन मन बंदौ अविरल मान।। ...

शिव वन्दन (शैलेन्द्र खरे 'सोम' गुरुदेव)

🌸🍀🌺🌺🍀🍀🍀👏👏👏👏👏 ◆शिव-वंदन◆    किरीट सवैया में............. शिल्प~8 भगण(211×8) कुल 24 वर्ण हे  गिरजापति  श्री  शिवशंकर,                 सोहत है अति भाल सुधाकर। दीन दयाल  दया  करिये  अब,      ...

मनहरण घनाक्षरी (इंतजार) डॉ० राहुल शुक्ल 'साहिल'

🏆  मनहरण घनाक्षरी 🏆 शिल्प : प्रति चरण 31 वर्ण (8,8,8,7 वर्णों में पँक्तिबद्ध) चरणान्त 12 सोहत सूरत खूब, मधुर मिलन मस्त, मन मोर मचलत, मंगल बहार है। नयन हिरन सम, काजल चमक  चम, ओंठ कमल पाखुरी, ...

आ० बिजेन्द्र सिंह 'सरल' जी की उत्कृष्ट समीक्षा

आज पटल पर आयी हुई रचनाओं की समीक्षा का लघु प्रयास                वाह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् वाह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् वाह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् वाह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् बढ़िया प्रस्तुति बधाईयाँ आद...