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मुक्तक का भण्डार

      🎊  सुहानी  🎊
   (1222×4 मुक्तक)

चली आओ सुहानी शाम तुम बिन है अधूरी सी| 
मुहब्बत की  रवानी में  खिलें  बरसात  पूरी सी|
मचल जाए  हृदय मेरा  सुनो इस प्रेम सिंचन से|
कि कट  जाए  हमारे  बीच की वीरान दूरी  सी||

  © डॉ० राहुल शुक्ल 'साहिल'

     🎊  बेल/लता  🎊
      (1222×4 मुक्तक)

गले जब तुम लगाती हो उमंगे जाग जाती है|
इशारे देखकर चाहत शराफ़त भाग जाती है|
लता जैसे लिपटकर पेड़ को साथी  बनाती है|
मुहब्बत़ की रवानी बेल सी चढ़ती हि जाती है|

  © डॉ० राहुल शुक्ल 'साहिल'

    स्वीकार
   १२२२×४

दिलों की हलचलें समझो जरा तुम प्यार तो कर लो,
बढ़ी है धड़कने सुन लो, जरा  इजहार  तो कर लो,
वही अब  बन  गई  है जिन्दगी  की हमसफर मेरी,
फसाने  प्रेम  के  मेरे  सही  स्वीकार  तो  कर  लो|

     ❤ साहिल 🙏

      मुक्तक का प्रयास
    🏆 एक स्वर मेरा 🏆

२१२२ × ४

गीत के मधुरिम स्वरों में एक स्वर मेरा मिला लो,
भाव के अद्भुत स्वरों में एक स्वर मेरा मिला लो,
प्रेम से संगीत में सुर स्नेह की महिमा सजाकर,
जिन्दगी के हर स्वरों में एक स्वर मेरा मिला लो|

© डॉ० राहुल शुक्ल 'साहिल'

बनेगा प्रेम का बंधन, मधुर मझधार भी होगी,
रहेगा प्रीत का दामन, सुहानी शाम भी होगी,
मिलन की बाँसुरी, मन में मधुर सा   राग गाएगी,
बजेगा राग  तेरे संग  दिवानी  ताल  भी होगी||

© डॉ० राहुल शुक्ल 'साहिल'

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