🌷हिंदी राष्ट्रभाषा 🌷
हिंदी हमारे भाव, मन व हृदय की आत्माभिव्यक्ति का माध्यम है। भाषा की उच्चता पर ही मानव मात्र व समाज का कल्याण निर्भर है|
हिन्दी मात्र हमारी मातृभाषा बनकर रह गई है, इसे वो सम्मान व ख्याति नहीं मिल रही जिसकी यह अधिकारिणीं है|
हिन्दी भाषा को राष्ट्र भाषा बनाने के अभियान में कुछ निम्नलिखित बिन्दु सहायक हो सकें ऐसी कामना के साथ हिन्दी भाषा को आत्मसात करते हुये मुझे भारतेन्दु जी की कुछ पंक्तियाँ याद आ गयी।
'निज भाषा उन्नति अहे
सब उन्नति के मूल'
○ हिन्दी भाषा के उत्थान एवं अक्षुण्यता के लिए हमें अपने आप से ही शुरूआत करनी चाहिए| आपसी बोलचाल व लेखन में अपनी मातृभाषा का अधिकतम प्रयोग करना चाहिए|
○ केन्द्रीय एवं राज्य सरकार के विभागों, कार्यालयों के कामकाज में सम्पूर्ण रूप से हिन्दी का प्रयोग होना चाहिए|
○ सरकारी कार्यालयों के प्रचार, प्रसार, बैनर, आदि में हिन्दी भाषा का प्रयोग होना चाहिए|
○ प्रत्येक कार्यालय, कार्पोरेट, और निजी संस्थानों में अधिकतम हिन्दी का प्रयोग होना चाहिए|
○ प्रत्येक सी•बी•एस•ई एवं आइ• सी• एस• ई• बोर्ड के विद्यालयों में भी हिन्दी अनिवार्य करनी चाहिए एवं हिन्दी प्रतियोगिताओं का आयोजन समय समय पर कराना चाहिए|
○ विभिन्न प्रकार के साहित्यकारों के लेख, प्रसिद्ध पुस्तकों व रचनाओं पर विश्लेषण व प्रतियोगिता होनी चाहिए|
○ बच्चों के लिए प्रेरक काव्य व अन्य विषयों को सीखने के लिए अधिक से अधिक हिन्दी काव्य एवं चित्रण काव्यों का प्रयोग होना चाहिए।जिससे हम समाजिक आदर्शो व उद्देश्यों को समझ सकें एवं राष्ट्र की आदर्शमय नागरिकता को निभा सकें|
○ सभी चिकित्सकों, विधिक सलाहकारों एवं अध्यापकों को लेखन व बोल चाल में हिन्दी भाषा का प्रयोग करना चाहिए।
○ एक नई पहल शिक्षा क्षेत्र में सुनकर सभी हिन्दी प्रेमियों को लिए अति प्रसन्नता हो सकती है, रामदेव बाबा की शिक्षा के क्षेत्र में एक नयी पहल, वह पुरातन वैदिक शिक्षा को नये कलेवर में ढ़ालकर एक नये बोर्ड के रूप में प्रस्तुत करना चाहते हैं| जिससे हमारे प्राचीन ऋषि मुनियों की वैज्ञानिकता का पता पूरी दुनिया को चल सके और हमारी संस्कृति व वैदिक परम्परागत शिक्षा का अद्भुत ज्ञान मिल सकें|
भारत सरकार के मानव संसाधन एवं विकास मंत्रालय में देश के विद्यार्थियों की शिक्षा के लिए एक "वैदिक बोर्ड" भी बनाया जाये जिसके लिए बाबा रामदेव जी ने अनुमति मांगी है। यह अभियान भी पूर्णता तक आन्दोलित होना चाहिए|
जैसे देश में सी• बी• एस• ई•, आई• सी• एस• ई, और राज्यों के शिक्षा बोर्ड हैं, जैसे उत्तर प्रदेश में माध्यमिक शिक्षा परिषद उ• प्र•, म• प्र• में म• प्र• बोर्ड आदि है, उसी प्रकार वैदिक बोर्ड व हिन्दी माध्यम की पढ़ाई का मिशन चलाना होगा। जितने भी सी• बी• एस• ई•, आई• सी• एस• ई, बोर्ड के विद्यालय है सभी में विषयों का अध्ययन या माध्यम अंग्रेजी भाषा में है।
अंग्रेजी माध्यम में ही बच्चों को पढ़ना बोलना और लिखना सिखाते है|
लार्ड मैकाले की शिक्षा नीति का असर आजादी के 69 साल बाद भी नही गया।
विज्ञान या अन्य अंगेजी सम्बन्धित विषयों को यदि पढ़ना है तो उसे एक विषय के रूप में पढ़ा जा सकता है परन्तु सभी कक्षाओं एवं विधायों की शिक्षा हिन्दी माध्यम से ही होनी चाहिए जिससे बच्चों की बौद्धिक एवं विश्लेषण क्षमता का विकास दुगुनी गति से हो सके।
आवश्यक रूप से मैं यह बताना चाहता हूँ कि संस्कृत के श्लोक या वाक्य एवं हिन्दी के काव्य व छन्द रचनायें के पाठ से मनुष्य में उपस्थित स्वर यन्त्र (लैरिन्गस/LARYNX) का तीसरा और चौथा भाग प्रेरित होता है जो कि केवल गायकी आवाज से होता है न कि बोलने की आवाज, इसके उच्चारण एवं बोल से मनुष्य का तंत्रिका तन्त्र, रक्त परिसंचरण तन्त्र, पाचन तन्त्र, एवं श्वसन तन्त्र आदि शरीर के क्रियात्मक तन्त्र सुचारू रूप से काम करते है एवं अधिकाधिक ऊर्जा का संचार करते हैं ऐसा वैज्ञानिक प्रयोगों द्वारा सिद्ध हो चुका है|
नए वैदिक बोर्ड से देश की पुरातन गुरुकुल शिक्षा पद्धति को आधुनिक काल के शैक्षिक तरीकों में परिवर्तित करके सभी बच्चों को पढ़ाया जाना चाहिए|
सोचने की क्षमता, विश्लेषण की क्षमता, याद करने की क्षमता, सीखने की क्षमता, और अभिधारणा, संकल्पना स्पष्ट होने की क्षमता, बढ़ाने का एकमात्र तरीका हिन्दी व संस्कृत भाषा का प्रारंभिक व समुचित प्रयोग है।
हमारे वैदिक ग्रन्थ, वेद, उपनिषद, दर्शनशास्त्र जिन्हें आज की शिक्षा पद्धति छूना भी नहीं चाहती आधुनिक पाठ्यक्रम के साथ वेद, उपनिषद्, गीता, पुराण, हिन्दी में रचनात्मक लेखन भी पढ़ाया जाना चाहिए|
जय हिन्द
जय हिन्दी जय भारत
वन्दे मातरम्
© डाॅ• राहुल शुक्ल 'साहिल'
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