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होम्योपैथिक पर आलेख

वर्तमान समय में आधुनिक चिकित्सा पद्धति (एलौपैथी) के दुष्प्रभाव से सामान्य जन काफी परेशान हैं|
नित्य नयी - नयी बिमारियाँ पनप रही है, एण्टीबॉयोटिक का प्रभाव बेअसर हो रहा है|
डेंगू बुखार, चिकनगुनिया, बर्ड फ्लू, जापानी दिमागी बुखार (इनसिफेलाइटिस), ब्रेन हेमेरेज, हृदय रोग, ब्लड प्रेशर इत्यादि कितनी ही जानलेवा बिमारियों से लोग मृत्यु को प्राप्त हो रहे हैं, प्राथमिक चिकित्सा केन्द्र, अस्पतालों और दवाइयों का भण्डार होते हुए भी मनुष्य बीमारी से मर जाए, तो कहीं न कहीं आधुनिक चिकित्सा पद्धति पर प्रश्न चिन्ह लगता है ?

सभी लोगों के लिए सोचनीय विषय है कि जिन चिकित्सकों एवं दवाइयों पर हम विश्वास कर रहे हैं वो दवाइयाँ काम नही कर रही| बिमारियों की स्थिति विकट होती जा रही है| लोगों की विभिन्न रोगों से आकस्मिक मृत्यु हो रही है ?
      
         जरुरत है केवल स्वास्थ्य जागरूकता कि ! सभी लोगों को स्वास्थ्य जागरूकता एवं बिमारियों से बचने की सामान्य एवं विशेष जानकारी अवश्य होनी चाहिए| सभी चिकित्सकीय पद्धतियों की जानकारी भी आवश्यक है| कौन सी दवा किस बीमारी को कितनी आसानी से ठीक कर सकती है, यह जानना - समझना परम आवश्यक है, तथा कोई भी दवा का हमारे शरीर पर क्या - क्या प्रभाव और दुष्प्रभाव है, यह भी जानना आवश्यक है| कब तक हम अपने प्रिय जनों और अपने स्वंय की सेहत के साथ खिलवाड़ करेगें ?  बीमारी का इंतजार नही करना है, उसको समाप्त करने या शरीर में न आने देने के उपाय सोचने हैं | बीमारी से बचने और प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए विभिन्न उपायों का प्रयोग होते रहना चाहिए| अन्य चिकित्सा पद्धतियों जैसे :- होम्योपैथिक, आयुर्वेद, योग प्राणायाम एवं प्राकृतिक चिकित्सा   इत्यादि के बारे में सामान्य जानकारी अवश्य लें कि यह पद्धति किन किन रोगों में बेहतर परिणाम देती है या हम कुछ बिमारियों से पहले से ही (रोकथाम की विशेष दवाइयाँ लेकर) कैसे बच सकते हैं|

वर्तमान समय में होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति का प्रयोग लोगों के प्रचलन में काफी अधिक हुआ है| शल्य चिकित्सा से संबंधित बिमारियों को छोड़कर सभी प्रकार के रोगों का निदान होम्योपैथिक दवा से सम्भव है वो भी कम खर्च और बिना किसी दुष्परिणाम के| जटिल से जटिल रोग जो किसी भी दवा या पद्धति से सही न हुए हो वो होम्योपैथिक से पूर्ण रूप से समाप्त हो जाते हैं|

*यहाँ होम्योपैथिक के बारे में कुछ मूल जानकारियाँ देना जरुरी है| होम्योपैथिक दवा शरीर के प्रतिरक्षण तंत्र  (Immunity) पर कार्य करके रोग को हमारे शरीर से निकाल देती है|*
शरीर में कोशिकीय स्तर पर सबसे तेज काम करने वाली चिकित्सा पद्धति *"होम्योपैथी"* दुनिया में दूसरे नम्बर की सुप्रसिद्ध पद्धति  है, जो कोशिकाओं को स्वस्थ करके रोग को शरीर से निकाल फेंकती है| यह विश्व की पहली ऐसी पद्धति है जिसमें दवाओं का परीक्षण स्वंय मनुष्य पर ही होता है और उसके द्वारा बताए गए लक्षण लिखे जाते है, इन्हीं लक्षणों के आधार हम दवाइयों का चुनाव करके रोगी को देते हैं| होम्योपैथिक दवा हमारे मुँह एवं जीभ के संवेदांकुर (Sensory Buds) से अवशोषित होकर तुरन्त दिमाग (Central Nervous system)    में रोग से लड़ने की सूचना पहुँचाते हैं और यह सूचना हमारी वाहक तंत्रिकाओं (Motor neurons) द्वारा क्रियान्वित की जाती है अथार्त वाहक तंत्रिकाओं को तुरन्त बीमारी से लड़ने का आदेश प्राप्त होता है और कार्य या हीलिंग शुरु हो जाती है|
        
           *बहुत सी बिमारियों का होम्योपैथिक में सम्पूर्ण इलाज है जिसमें से कुछ के नाम निम्नलिखित है : ---*

_सभी प्रकार के चर्म रोग, लिवर या पेट से सम्बन्धित सभी रोग, डॉयबिटिज (ब्लड सुगर), बच्चों एवं महिलाओं की विभिन्न परेशानियाँ, थाइराइड या अन्य अंत: स्रावी ग्रन्थियों के स्राव अधिक या कम होने के कारण उत्पन्न रोगों का पूर्ण निदान होम्योपैथिक विधा में सम्भव है | शरीर में गाँठ, ट्यूमर या फाइब्राइड, रक्त से सम्बन्धित रोग : खून की कमी इत्यादि, हड्डियों से सम्बन्धित रोग, पुराना बुखार (जीर्ण ज्वर), पथरी, आँख नाक एवं कान की बिमारियों का होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति में सम्पूर्ण इलाज है |_

      सबसे प्रभावी दुष्प्रभाव रहित सुरक्षित होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति का सदैव प्रयोग करके अपना एवं अपने परिवार के स्वास्थ्य का सदैव ध्यान रखें|

जीवन अनमोल है, श्रेष्ठ जनों के बोल है|
होम्योपैथी अपनाना है, सेहत सबकी पाना है|
कोई  रोग  से  मर न  जाए,
होम्योपैथिक जरुर अपनाएँ|

                        धन्यवाद
                     
               © डॉ० राहुल शुक्ल 
             होम्योपैथिक चिकित्सक
  संजीवनी वेलफेयर सोसाइटी, इलाहाबाद उ० प्र०

         मोबाइल नं० ~ 9264988860

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कुल उच्चारण स्थान ~ ८ (आठ) हैं ~ १. कण्ठ~ गले पर सामने की ओर उभरा हुआ भाग (मणि)  २. तालु~ जीभ के ठीक ऊपर वाला गहरा भाग ३. मूर्धा~ तालु के ऊपरी भाग से लेकर ऊपर के दाँतों तक ४. दन्त~ ये जानते ही है ५. ओष्ठ~ ये जानते ही हैं   ६. कंठतालु~ कंठ व तालु एक साथ ७. कंठौष्ठ~ कंठ व ओष्ठ ८. दन्तौष्ठ ~ दाँत व ओष्ठ अब क्रमश: ~ १. कंठ ~ अ-आ, क वर्ग (क, ख, ग, घ, ङ), अ: (विसर्ग) , ह = कुल ९ (नौ) वर्ण कंठ से बोले जाते हैं | २. तालु ~ इ-ई, च वर्ग (च, छ, ज, झ, ञ) य, श = ९ (नौ) वर्ण ३. मूर्धा ~ ऋ, ट वर्ग (ट, ठ, ड, ढ, ण), र , ष =८ (आठ) वर्ण ४. दन्त ~ त वर्ग (त, थ, द, ध, न) ल, स = ७ (सात) वर्ण ५. ओष्ठ ~ उ-ऊ, प वर्ग (प, फ, ब, भ, म)  =७ (सात) वर्ण ६. कंठतालु ~ ए-ऐ = २ (दो) वर्ण ७. कंठौष्ठ ~ ओ-औ = २ (दो) वर्ण ८. दंतौष्ठ ~ व = १ (एक) वर्ण इस प्रकार ये (४५) पैंतालीस वर्ण हुए ~ कंठ -९+ तालु-९+मूर्धा-८, दन्त-७+ओष्ठ-७+ कंठतालु-२+कंठौष्ठ-२+दंतौष्ठ-१= ४५ (पैंतालीस) और सभी वर्गों (क, च, ट, त, प की लाईन) के पंचम वर्ण तो ऊपर की गणना में आ गए और *ये ही पंचम हल् (आधे) होने पर👇* नासिका\अनुस्वार वर्ण ~

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