रमेश छन्द (गुुरु स्तुति)

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     ♧  रमेश छंद  ♧

विधान ~ [ नगण यगण नगण जगण]
( 111  122  111  121 )
12 वर्ण, 4 चरण
दो-दो चरण समतुकांत]
          
        *गुरु महिमा*

गुरुवर   मेरे  भगत   महान।
तन मन बंदौ अविरल मान।।
हर  दिन देते  गुरुजन  ज्ञान।
जग पथ होता मन सुखवान।।

जग  तम के है रविसम काल।
पल -पल है जीवन विकराल।।
भव भय काटैं मिलत प्रकाश।
बिन गुरु जैसे जग अवकाश।।

सब जन पूजैं जग गुरु सोम।
नमन करूँ मैं निशदिन ओम।।
गुरु हर  लेते  सब दुख शोक।
जग पथ पाऊँ सुगम अशोक।।

©  डाॅ• राहुल शुक्ल "साहिल"

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