[9/1, 21:06] सरस जी
विषय~पर्यावरण
विधा~दोहा
1-पर्यावरण बचाइए, कहता पूरा देश |
एक लगाओ पेंड़ जो, बदलेगा परिवेश||
2-हरे भरे रखना सदा ,हरियाली के केश|
महके तन मन गंध से,पर्यावरण विशेष||
3-पर्यावरण पुकारता, ले लो प्रेम अपार|
मेरे अन्तस् पैठ के, लेना मुझे निहार||
4-सबका खुशियों से सजे,सुन्दर जीवन धाम|
पर्यावरण सुधारना, सबसे उत्तम काम||
5-दोष युक्त पर्यावरण, किसे सुहाता मीत|
दोषों के परिहार से, उपजे मन में प्रीत||
6-पर्वत नदियाँ बाग वन, पर्यावरण समूल|
उन्नति के हैं देवता, रखें सदा अनुकूल||
7-तुलसी बरगद चाँदनी ,पीपल पाकड़ नीम|
हर्र बहेड़ा आँवला,पर्यावरण हकीम||
8-स्वच्छ रहे पर्यावरण, मिलकर करें प्रयास|
सरकारी है योजना, शौचालय घर पास||
9-घेर खड़ा पर्यावरण ,फैला चारों ओर |
सर्दी बरसा धूप का, सुन्दर सा चितचोर||
10-बिना लोभ बिन मोल के, रखे समर्पण भाव|
पर्यावरण उदार है, जीवन जीव पड़ाव||
11-कहत सरस पर्यावरण, जीवन का विस्तार|
हरियाली से सुख मिले, हरियाली आधार||
12प्रणय साक्ष्य है जीव का, फूलों का वह हार|
प्रेमबन्ध पर्यावरण, दुल्हन-सा श्रृंगार ||
13-झूमे जीवन पेंड़ तो, मिले प्रेम अनुराग|
हर लेता संताप है, पर्यावरण पराग||
14-गंधवाहिनी शुद्ध हो,होवे पुष्ट शरीर|
क्षिति जल पावक शून्य में, पर्यावरण समीर||
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©दिलीप कुमार पाठक "सरस"
[9/2, 21:10] कौशल पाण्डेय आस:
पर्यावरण पर दोहे
(१)
पर्यावरण अस्वच्छ हो,तन में लगते रोग।
वृक्षारोपण यदि करो,तन हो जाय निरोग।।
(२)
बरगद पीपल नीम से,पर्यावरण सुधार।
प्राण वायु का भी बढ़े,पवन बीच संचार।।
(३)
पर्यावरण सुधार हित,घर घर पालो गाय।
नाश उसी का हो रहा,जिसको नहीं सुहाय।।
(४)
गाय काटने से हुआ,पर्यावरण विनाश।
भूमि केरला का खुआ,जीवन प्रेम प्रकाश।।
(५)
पर्यावरण असंतुलन, दिखता है चहुँ ओर।
कर्म धर्मगत त्याग सब,व्यर्थ कर रहे शोर।।
(६)
दूषित पर्यावरण को,करता दिखे विकास।
व्याधि नयी नित हो रही,थोड़े लगें प्रयास।।
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कौशल कुमार पाण्डेय "आस'
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