Skip to main content

शिव वन्दन (शैलेन्द्र खरे 'सोम' गुरुदेव)

🌸🍀🌺🌺🍀🍀🍀👏👏👏👏👏

◆शिव-वंदन◆

   किरीट सवैया में.............

शिल्प~8 भगण(211×8) कुल 24 वर्ण

हे  गिरजापति  श्री  शिवशंकर,
                सोहत है अति भाल सुधाकर।
दीन दयाल  दया  करिये  अब,
                 दोष सभी मम नाथ क्षमाकर।।
आप  त्रिलोचन  संकट मोचन,
                  तेज रमें तन  कोटि प्रभाकर।
राखत"सोम"विलोम गले बिच,
                  ये मन है तिनको पद चाकर।।

*मदिरा सवैया* में.......

शिल्प~[211*7+2/यति 10,12]

आदि अनंत अलौकिक हो,
             प्रलयंकर शंकर काल हरे।
कालन के तुम काल कहे
           बलवंत महा जग पाल हरे।।
हे गिरजापति देव सुनो
          सब जोड़ खड़े करताल हरे।
"सोम"ललाट भुजंग गले,
            करुणाकर दीनदयाल हरे।।

*मत्तगयन्द सवैया* में .......

शिल्प~[7 भगण+2गुरू/12,11पर यति]

शेष दिनेश सुरेश जपें नित,
            शारद  गावत  गावत  हारी।
वेद पुराण भरें जिनके यश,
            संत अनंत भजें सुखकारी।।
देख रहे सचराचर ही सब,
           केवल आस जगाय तिहारी।
"सोम"ललाट सजे जिनके वह,
           देवन   के  अधिदेव  पुरारी।।

*अरसात सवैया* में........

शिल्प~{भगण[(211×7]+रगण(212)}

हे शिवशंकर  त्रास  नसावन,
                  दीन अधीन सदैव पुकारते।
आस लगाय खड़े कबसे दर,
               कारन कौन न नाथ निहारते।।
आप सुधार दई सबकी गति,
           मोरि न क्यों गति आप सुधारते।
पार किये भवसागर से खल,
            "सोम"पुकारत क्यों न उबारते।।

                         
                           ~शैलेन्द्र खरे"सोम"

Comments

Popular posts from this blog

वर्णमाला

[18/04 1:52 PM] Rahul Shukla: [20/03 23:13] अंजलि शीलू: स्वर का नवा व अंतिम भेद १. *संवृत्त* - मुँह का कम खुलना। उदाहरण -   इ, ई, उ, ऊ, ऋ २. *अर्ध संवृत*- कम मुँह खुलने पर निकलने वाले स्वर। उदाहरण - ए, ओ ३. *विवृत्त* - मुँह गुफा जैस...

वर्णों के 8 उच्चारण स्थान

कुल उच्चारण स्थान ~ ८ (आठ) हैं ~ १. कण्ठ~ गले पर सामने की ओर उभरा हुआ भाग (मणि)  २. तालु~ जीभ के ठीक ऊपर वाला गहरा भाग ३. मूर्धा~ तालु के ऊपरी भाग से लेकर ऊपर के दाँतों तक ४. दन्त~ ये जानते ही ...

व्युत्पत्ति के आधार पर शब्द के प्रकार

व्युत्पत्ति के आधार पर शब्द व्युत्पत्ति का अर्थ है ~ विशेष प्रयास व प्रयोजन द्वारा शब्द को जन्म देना| यह दो प्रकार से होता है~ १. अतर्क के शब्द (जिनकी बनावट व अर्थ धारण का कारण ...