पंकजवाटिका/एकावली छंद
विधान~
[ भगण नगण जगण जगण+लघु]
(211 111 121 121 1)
13 वर्ण,4 चरण
दो-दो चरण समतुकांत]
गीत भजन सुर ताल बजावत||
नित्य परम प्रभु पुष्प चढ़ावत ||
छंद सकल शुभ कर्म सुहावत|
प्रीत मधुर भव पार लगावत||
© डॉ० राहुल शुक्ल 'साहिल'
पंकजवाटिका/एकावली छंद
विधान~
[ भगण नगण जगण जगण+लघु]
(211 111 121 121 1)
13 वर्ण,4 चरण
दो-दो चरण समतुकांत]
रीत जगत करनी सुख राहत|
मीत लगन सजनी मन चाहत||
ओज सरस जननी गुन जागत |
प्रेम सुखद प्रतिभा धुन लागत||
© डॉ० राहुल शुक्ल 'साहिल'
डॉक्टर साहब, बहुत खूब लिखा है। वाह
ReplyDeleteएकावली अलग छंद है डॉक्टर साहब। पंकजवाटिका के साथ एकावली क्यों जोड़ा।
सही कहा आपने
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