◆तंत्री छंद◆
विधान~
प्रति चरण 32 मात्राएँ,8,8,6,10मात्राओं
पर यति चरणान्त 22 , चार चरण, दो-दो
चरण समतुकांत।
निर्मल शीतल, तन - मन भावै, माँ गंगे, सब पाप मिटाए|
गंगा यमुना, पावन संगम, जन्म जन्म, भव रोग भगाए|
साधक याजक, संत समाजी, साधु गुणी, जुड़ आया मेला|
बाल वृद्ध जन, दर्शन सुन्दर, दिव्य कुम्भ, की मधुरिम बेला||
©डॉ० राहुल शुक्ल 'साहिल'
[3/8, 12:52] राहुल शुक्ला: Thursday, 31 August 2017
तंत्री छन्द (सोम जी )
विधान~
प्रति चरण 32 मात्राएँ,8,8,6,10मात्राओं
पर यति चरणान्त 22 , चार चरण, दो-दो
चरण समतुकांत।
हे मनमोहन,हे मनभावन,
जगपालक,राधा के प्यारे।
हे वंशीधर, मोरमुकुटधर,
यशुदासुत, हे नंददुलारे।।
वेणु बजैया, धेनु चरैया,
दीनबंधु,जग पालनहारे।
हे मधुसूदन,कृपा करो जू,
सोम पड़ा,है द्वार तिहारे।।
~शैलेन्द्र खरे"सोम"
◆तंत्री छंद◆
विधान~
प्रति चरण 32 मात्राएँ,8,8,6,10मात्राओं
पर यति चरणान्त 22 , चार चरण, दो-दो
चरण समतुकांत।
कोशिश करना,कभी न डरना,
छंद बने,तब ही अति प्यारा|
पहले संयम,फिर पढ़ो नियम,
तब लिखना,होगा उजियारा||
कहते गुरुजन,झोको तन मन,
कठिन नहीं,है कुछ भी प्यारे|
कंट मिलेंगे,फूल खिलेंगे,
"दिव्य" सोच,जो उर में धारे||
~जितेन्द्र चौहान "दिव्य"
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