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दिव्य कुम्भ भव्य कुम्भ 2019 (तंत्री छंद/साहिल)

◆तंत्री छंद◆

विधान~
प्रति चरण 32 मात्राएँ,8,8,6,10मात्राओं
पर यति चरणान्त 22 , चार चरण, दो-दो
चरण समतुकांत।

निर्मल शीतल, तन - मन भावै, माँ गंगे, सब पाप मिटाए|
गंगा यमुना, पावन संगम, जन्म जन्म, भव रोग भगाए|
साधक याजक, संत समाजी, साधु गुणी, जुड़ आया मेला|
बाल वृद्ध जन, दर्शन सुन्दर, दिव्य कुम्भ, की मधुरिम बेला||

©डॉ० राहुल शुक्ल 'साहिल'
[3/8, 12:52] राहुल शुक्ला: Thursday, 31 August 2017

   तंत्री छन्द (सोम जी )
विधान~
प्रति चरण 32 मात्राएँ,8,8,6,10मात्राओं
पर यति चरणान्त 22 , चार चरण, दो-दो
चरण समतुकांत।

हे मनमोहन,हे मनभावन,
                   जगपालक,राधा के प्यारे।
हे वंशीधर, मोरमुकुटधर,
                    यशुदासुत, हे  नंददुलारे।।
वेणु  बजैया, धेनु  चरैया,
                    दीनबंधु,जग  पालनहारे।
हे मधुसूदन,कृपा करो जू,
                   सोम पड़ा,है द्वार तिहारे।।

                           ~शैलेन्द्र खरे"सोम"

              ◆तंत्री छंद◆

विधान~
प्रति चरण 32 मात्राएँ,8,8,6,10मात्राओं
पर यति चरणान्त 22 , चार चरण, दो-दो
चरण समतुकांत।

कोशिश करना,कभी न डरना,
              छंद बने,तब ही अति प्यारा|
पहले संयम,फिर पढ़ो नियम,
             तब लिखना,होगा उजियारा||
कहते गुरुजन,झोको तन मन,
             कठिन नहीं,है कुछ भी प्यारे|
कंट मिलेंगे,फूल खिलेंगे,
           "दिव्य" सोच,जो उर में धारे||
   

~जितेन्द्र चौहान "दिव्य"

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