संग्राम (गीत) डाॅ0 राहुल शुक्ल साहिल

हर इंसा पत्थर नही, मन में भर लो ओज|
वफा मीत की ना मिले, मीत खोजिए रोज||
   
    _गीत_
   16 ×16
           ⚜ संग्राम

संग्राम  सत्य  का   लड़  लेगें|
तन - मन को मन्दिर कर लेगें|

ईर्ष्या कल्मष को तजकर हम|
हिय   में  मृदुमयता भर  लेगें|

जन -जन सेवा का प्रण लेकर,
जीवन   भावों  से  भर   लेगें|

तप त्याग तितिक्षा को संग कर,
भव  बंधन  का  भय  हर  लेगें|

पर  पीड़ा  करुणा  दुखियों  की,
सुखमय   कर्मों    से  हर  लेगें||

सौहार्द  स्नेह  व  समता से,
सागर को 'साहिल' कर लेगें|

   © डॉ० राहुल शुक्ल 'साहिल'

Comments

Popular posts from this blog

वर्णमाला

वर्णों के 8 उच्चारण स्थान

व्युत्पत्ति के आधार पर शब्द के प्रकार