निश्चल छंद
विधान~
[23 मात्राएँ 16,7 मात्राओं पर यति,
चरणान्त 21]
तारा तन मनमोहक हिय में, बढ़त हिलोर|
नील मुकुट खग नाचत सुन्दर, लागत मोर||
गरज गरज कर मेघा कहता, प्रीतम बोल|
किरण बिखेरे सूरज धरती, भी है गोल||
बेदी गोल सूरतिया करती, है मदहोश|
हृदय पटल में संचारित हो,सब गुण कोश||
छन - छन बाजत पायल जैसे, सुरमय गीत|
घड़ी मिलन की आयी गाओ, सुख संगीत||
©डॉ० राहुल शुक्ल साहिल
मरहटा छंद
शिल्प~[10,8,11 ]मात्राएँ ,इसी प्रकार यति।चरणान्त में गुरु लघु(21),चार चरण तुकांत।
सुरसरि के तीरे, धीरे - धीरे, हृदय जपत जयकार|
ये जीवन सारा, निज सुख हारा,नमन करूँ शतबार||
सुन्दर मनभावन, प्रियतम पावन, साहिल करे पुकार|
मनमीत 'प्रीत' की, मधुर रीत की, कोमल सी मनुहार||
© डॉ० राहुल शुक्ल साहिल
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