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स्वामी जय जगदीश हरे (साहिल)


शब्द से कविता मिली ,
भाव की सरिता मिली,
सरिता से समता बनी,
समता से ममता बनी,

ममता जगी नेह की,
प्रेम तत्व  स्नेह की,
स्नेह प्याला प्रेम का,
मोहब्बत में नेम का,

नेम की आराधना,
शुद्ध  सरल साधना,
सामाजिक सद्भावना,
स्वच्छ बने भावना,

भावना की कामिनी,
चमचमाती दामिनी,
सुन्दर सी शामिनी
वियोग की गामिनी|

ऊँ जय  जगदीश  हरे,
स्वामी जय जगदीश हरे|
स्वामी जय जगदीश हरे|

कौशल जी खाके गाएं और घूमे, ड़ की जय बोलो,

चंचल छाया जग झूमे, ञ की जय बोलो,

टहनी ठूठे डगर है सूखी
जीवन बिन गुरुवर बेकार,
ढूंढ़ों सद्गुरु तो हो जाएगा उद्धार|
ण की जय बोलो,

तारा थिरके दिल में धड़कन  नमन करे,
जय जय बोलो
प्रभु की जय बोलो|

प्यारा बोलै भगत गुरु, मधुरम जय बोलो, मधुरम रस घोलो|

यामिनी राग लुभाए वश में हनको करती|

सरस सरल बने हमरे,  उनकी जय बोलो|

क्षमा याचना करके,
सबको प्रणाम करूँ

त्रुटि कोई हो जाए तो सब माफ करो| 

ज्ञानी हम बन जाए गुरु की किरपा से|

स्वामी जय जगदीश हरे|
स्वामी जय जगदीश हरे|

ड़ की जय जय
ञ की जय जय
ण की जय जय
जय बोलो
नमन करूं मैं, नमन करूं मैं
नमन करूं मैं,
माता का
म से माता
वर दो माता

हम सबका उद्धार करो,

क्ष से क्षमा करें सब, कोई,

त्र से त्रुटि यदि कोई हो,

ज्ञ से ज्ञानी बन जाए सब,

गुरुवर की यदि किरपा हो|

भ से भगत गुरु की जय जय
स से सोम की जय बोलो|

कौशल जी जय बोलो
राजेश की जय बोलो
सुशीला जी की जय हो,

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