लेखन के सूत्र
♢ लिखने का प्रयास शुरु करते समय मैनें भाव पक्ष को सर्वोपरि मानकर मन को विषय पर एकाग्र करके तुकबन्दी/मात्राभार/आदि का ध्यान रखते हुए कविता/आलेख आदि लिखे गये सर्जन पर वरिष्ठ साहित्यकारों का उत्साहवर्धन मिलने से और लिखने की प्रेरणा का मार्ग खुलता गया|
♢ *भावपक्ष के बाद लेखन में शिल्प पक्ष पर भी यदि ध्यान दे दिया जाए तो रचना की गेयता बढ़़ जाती है|*
♢ शब्दों का चयन सर्वदा सरल व सकारात्मक हो तो अति उत्तम, शब्द से भाव स्पष्ट होता हो|
♢ अपने भाव और विषय से ईमानदारी कम से कम शब्दों में कर दी जाए तो कवियाएँ ऐतिहासिक हो जाती है, आलेख प्रसिद्ध हो जाते हैं|
♢ किसी भी प्रकार के लेख/आलेख/कविता और सबसे महत्वपूर्ण व्याकरणीय एवं टंकण शुद्धता अति आवश्यक है|
डाॅ• राहुल शुक्ल साहिल
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