ग़ज़ल बहर~221 1222 221 1222 तुम दूर खड़े हो तुमको पास बुलाना है | जब प्यार किया है तो फिर प्यार निभाना है|| संसार हमारा ये खुशहाल तुम्हीं से है| मुस्कान बिखेरे ऐसा दीप जलाना है|| ये सृष्टि तुम...
जितना भी चाहता हूं, सब मिल ही जाता है, अब दुख किस बात का ॽ