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Showing posts from March, 2019

गजल संग्रह (दिलीप कुमार पाठक सरस)

ग़ज़ल बहर~221 1222 221 1222 तुम दूर खड़े हो तुमको पास बुलाना है | जब प्यार किया है तो फिर प्यार निभाना है|| संसार हमारा ये खुशहाल तुम्हीं से है| मुस्कान बिखेरे ऐसा दीप जलाना है|| ये सृष्टि तुम...

बलूचों पर अत्याचार

बलूचों पर पाक का अत्याचार भयानक व दर्दनाक  है| भारत, बलूचिस्तान, ईऱान, अफगान, अमेरिका, बंग्ला देश इत्यादि बहुत से ऐसे देश हैं, जो नापाक काम करने वाले पाक को पसन्द नही करते और पा...

एकावली छन्द

      पंकजवाटिका/एकावली छंद विधान~ [ भगण नगण जगण जगण+लघु] (211  111   121  121 1) 13 वर्ण,4 चरण दो-दो चरण समतुकांत] गीत भजन  सुर ताल बजावत|| नित्य परम  प्रभु पुष्प चढ़ावत || छंद  सकल शुभ कर्म सुहावत| ...

मृगेंद्रमुख छन्द

🌸 *मृगेंद्रमुख छंद* 🌸 विधान- नगण जगण जगण रगण गुरु (111 121 121 212  2) 2-2चरण समतुकांत,4चरण। तन -मन चाहत मीत प्रीत साजे| प्रतिपल राहत राग  गीत बाजे|| मधुरिम  मोहक नीर संग  धारा| सुखमय सूरत साथ हाथ ...

नमस्कार का महत्व

नमस्कार अथवा नमस्ते भारतीय महाद्वीप में अभिवादन करने का एक प्रचलित चलन है | इसका प्रयोग किसी व्यक्ति से मिलने अथवा उससे विदाई लेते समय, दोनों में किया जाता है | नमस्कार करत...

मुक्तक

बनेगा प्रेम का बंधन, मधुर मझधार भी होगी, रहेगा प्रीत का दामन, सुहानी शाम भी होगी, मिलन की बाँसुरी, मन में मधुर सा   राग गाएगी, बजेगा राग  तेरे संग  दिवानी  ताल  भी होगी|| © डॉ० राह...

बरवै छन्द (साहिल)

💐 बरवै छन्द 💐 प्रथम एवं तृतीय चरण में १२ -१२ मात्राएँ तथा द्वितीय और चतुर्थ चरण में ७-७ मात्राएँ होती हैं। सम चरणों के अंत में जगण (ISI )होता है। शरणागत हूँ माता, सुनो पुकार || मन मन...

संग्राम (गीत) डाॅ0 राहुल शुक्ल साहिल

हर इंसा पत्थर नही, मन में भर लो ओज| वफा मीत की ना मिले, मीत खोजिए रोज||         _गीत_    16 ×16            ⚜ संग्राम ⚜ संग्राम  सत्य  का   लड़  लेगें| तन - मन को मन्दिर कर लेगें| ईर्ष्या कल्म...

जत जय शिव शम्भू (घनाक्षरी)

जय जय शिव शम्भू , जय जय भोले नाथ, जय जय शंकर की, कृपा  सदा  बरसे।    तन- मन घन घूमे, जन जन सुन झूमे, बम बम बम भोले, बाल  वृद्ध   हरषे| घन - घन   घनाक्षरी, शिव-शिव शब्दाक्षरी, कण- कण  में दर...

दिव्य कुम्भ भव्य कुम्भ 2019 (तंत्री छंद/साहिल)

◆तंत्री छंद◆ विधान~ प्रति चरण 32 मात्राएँ,8,8,6,10मात्राओं पर यति चरणान्त 22 , चार चरण, दो-दो चरण समतुकांत। निर्मल शीतल, तन - मन भावै, माँ गंगे, सब पाप मिटाए| गंगा यमुना, पावन संगम, जन्म जन्म...