शब्दों में बसी कहानी

शब्दों में बसी कहानी

तुम दिल की कहानी बनी आज ऐसे, हर अक्षर को मैंने तपाकर लिखा।

हर शब्द को मैंने समझकर लिखा, जो सही था, उसे सँजोकर लिखा,

भावनाओं का सागर लहर बन गया, हर जज़्बात मेरा शहर बन गया,

दर्द की स्याही से लफ्ज़ जो निकले, वो कागज़ पे बिखरा असर बन गया।

वादों की रोशनी पर दीप जल रहे, यादों के सितारे भी साथ चल रहे,

चाँद की रोशनी में चमकता चेहरा, उस चेहरे का नूर, संग हर-पल रहे।

हर लम्हा वो यादों में ढलता रहा, जैसे साया कोई साथ चलता रहा,

तेरी बातों की गर्मी, तेरी साँस की खुशबू, दिल की वीरानी में गुल खिलता रहा।

© डॉ. राहुल शुक्ल साहिल

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