है दिल में कहीं

है दिल में कहीं

है दिल में कहीं, एक टूटा सा सपना, बिखरी हुई यादों का चुपचाप रिश्ता।

तेरी बातों की खुशबू, अब भी है बाकी, सांसों में घुलती, अधूरी सी बाती।

राहों में बिछे, कुछ अफसाने पुराने, तेरे नाम लिखे थे, अब धुंधले ठिकाने।

आवाज़ें बुलाती हैं, खामोशियों से, पर दिल कह रहा है, न जा उन गलीयों से।

है दिल में कहीं, एक उलझा फ़साना, मगर फिर भी तेरा, है नाम पुराना।

© डॉ. राहुल शुक्ल 'साहिल'



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