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Showing posts from September, 2024

गेम/मोबाइल/ टीवी की आभासी दुनिया में जीने वाले बच्चों एवं युवाओं के लिए ध्यान देने योग्य लेख

[ गेम/मोबाइल/ टीवी की आभासी दुनिया में जीने वाले बच्चों एवं युवाओं के लिए ध्यान देने योग्य लेख] ना जाने क्यूँ आजकल के बच्चे और युवा वर्चुअल (आभासी) लाइफ में जी रहे हैं:– ना जाने कितने प्रकार के गेम, मूवी, कार्टून केरेक्टर, ख्यालों की दुनिया और ना जाने क्या- क्या देखकर अपने आपको उस दुनिया का आदमी या गेमर समझने लगते हैं| यही आभासी दुनिया उनके अन्तर्मन और अचेतन मन में घूमती रहती है| कभी- कभी तो उसी धुन में कितने ही बच्चे और युवा परलोक चले गये| आभासी दुनिया बच्चों को वास्तविकता से दूर ले जाती है, उनकी मानसिक शक्ति कमजोर हो जाती है| इसके विपरीत यदि प्रकृति और वास्तविकता के नजदीक रहा जाए तो, कौशल प्रतिभा और ज्ञान में बढ़ोत्तरी होती रहे| बेफालतू की  फिल्मों से अच्छा तो प्रेरक और महापुरुषों की फिल्में देखें, कार्टून के स्थान पर रियल टैलेन्ट शो देखे, गेम कैरेक्टर्स में खो जाने से अच्छा! रियल गायकों, कवियों और अन्य प्रतिभाशाली लोगों के कार्यक्रम या प्रदर्शनियां देखिए| सर्कस के असली जिमनास्ट एवं रियल हीरोज को देखिए, जिससे हमारे अन्दर भी प्रतिभा को निखारने का अवसर मिलें| हर इंसान में कुछ न कुछ प्र

शिक्षक दिवस की शुभकामनाएं

सदैव तत्पर, अतुल्य तेज, ओजस्वी वाणी, अदम्य साहस की मूर्ति, धीरज का पर्याय, अद्भुत ज्ञान, अद्वितीय शिक्षण गुणों का भण्डार, अनुपम उत्तम क्षमता,  अविस्मरणीय भाव, समुचित स्नेहिल समभाव, सतत सक्रियता, सभी कार्यों में समय के पाबन्द, विलक्षण प्रतिभा, श्रेष्ठ कौशल, अनुभवी एवं बेहतरीन चारित्रिक नैतिकता के गुणों को सीखाने वाले, समाज के सच्चे व सार्थक पालक- पोषक, निर्माणकर्ता:-- जो बालरूपी अंकुर को पल्लवित पुष्पित करके, सुन्दर उत्कृष्ट, प्रतिभाशाली, अच्छा एवं आचरणवान नागरिक बनाकर समाज को जीवित रखने वाले वट वृक्ष समान शिक्षक एवं शिक्षिकाओं को जो समाज के बालकों एवं युवाओं के भविष्य निर्माता हैं, उन सभी को शिक्षक दिवस की कोटि-कोटि शुभकामनाएं। आप यूं ही समाज एवं संस्कृति में सामंजस्य बनाए रखने हेतु कार्यरत रहे। आपका भविष्य उज्जवल हो, आप यशस्वी एवं आयुष्मान हो।    🙏जय हिंद जय भारत 🙏 © डॉ• राहुल शुक्ल साहिल  प्रयागराज उत्तर प्रदेश 🌸🧬👌🙏🌷🌹🇮🇳🍌🍫🥀🍬🍭🌻🍊🎂🇮🇳🇮🇳

क्या लिखूं

 अहसास के बारे में क्या लिखूँ,  आभास के बारे में क्या लिखूँ, ,  जो सब - कुछ हो जिन्दगी में,  उस खाश के बारे में क्या लिखूँ | दिल  के   दोष   क्या  देखूँ,  मन   के   रोष क्या   देखूँ,  जब  आत्मा  ही   एक  हो,  तो  तन  के कोश क्या देखूँ | तेरा  साथ  ही  तो भाता है,  जन्म  - जन्म  का   नाता है,  प्यार में खुशियाँ है इसलिए,  प्यार इबादत भी कहलाता है| © डॉ• राहुल शुक्ल साहिल 27/04/2023 #happymarriageanniversary #drrahullshuklsahil #kantiprabhashukla #sheelushukla #14marriageanniversary

श्री राम {चौपाई छंद} (15/01/2024)

विधा   : चौपाई छंद विषय  :  श्री राम राम  लला  का  दर्शन   करने | चलो  अयोध्या सब-जन तरने || मन - मन्दिर  में दीप जलाकर | राम  धाम  को  खूब  सजाकर|| पञ्चशत  बरस   राह  निहारे | हम सब-जन हैं शरण तुम्हारे || राम - राम  मिल  बोलो  सारे | राम   तुम्हारे ,  राम   हमारे ||   दशरथ  नंदन अति मनभावन | राम - धाम  है  सुन्दर   पावन || राम  लला की जय जय बोलो | अंतर्मन   के  सब  पट खोलो ||  © डॉ• राहुल शुक्ल साहिल 

learn by Nature, lines written by Dr. Rahul Shukla Sahil

अंधेरा  कहता  है  कि  रोशनी   का  इंतजार करो, रोशनी कहती है कि अपने सपनों को साकार करो,  सवेरा  कहता है  कि  उठो  कर्म  में  लग  जाओ,  रात  कहती  है   कि  बस  सुकून  से  सो  जाओ| जल  कहता  है  कि स्वभाव  में  निर्मलता  लाओ,  धरा  कहती  है  कि साहस  और  धीर  अपनाओ| आकाश  कहता  है  कि  विचारों  में  फैलाव  हो,  हवा   कहती   है   कि   विचारों   में   बहाव  हो|  नियत  समय   पर   जैसे;   सूरज  उग   जाता  है,  जीवन  में संयम - नियम  सदा  हमें  सिखलाता है| जगमग  तारें और  चांदनी  सबके मन को भाती हैं,  शीतल  मधुर  हवाएं  भी;  मन  में  प्रीत  जगाती हैं| फूलों  की  खुशबू  सुन्दरता; सबके मन को भाती है,  दुख  कष्टों  में भी हर्षित  मन का सन्देश  सुनाती  है|             ©️ डॉ• राहुल शुक्ल साहिल

विधाता छ्न्द (हृदय की भावनाएं)

  विधाता छंद  (हृदय की भावनाएं)    विधान इस छंद के प्रत्येक चरण में 28 मात्राएँ होती हैं। 14,14 मात्रा पर यति होती है। 1, 8, 15, 22 वीं मात्राएँ लघु (1) होती हैं। दो दो चरण तुकांत, कुल चार चरण प्रति छंद। मापनी -1222 1222, 1222 1222 हमारी भावनाओं का, कहीं कोई असर होता। जिसे मन चाहता है वो, हमारा हम सफर होता।। हमारी चाहतों का अब, तनिक तुम मोल तो समझो‌। हमारे प्रेम को अद्भुत, अटल अनमोल तो समझो।‌ सुहानी शाम की सुन्दर हवाएं बह रही जब से। व्यथा प्रेमी प्रसूनों की, कहानी कह रही सबसे।‌। सुगंधित रातरानी भी, मिलन के गीत गाती है। सितारे जगमगाते हैं, निशा नभ को सजाती है।। सुना है साधना सच्ची, कभी निष्फल नही होती। समस्या ज़िन्दगी की हर, अकेले हल नही होती। हमारे साथ में तुम कब, बताओ गुन गुनाओगी । हृदय से मानकर अपना गले तारा लगाओगी।।