[ गेम/मोबाइल/ टीवी की आभासी दुनिया में जीने वाले बच्चों एवं युवाओं के लिए ध्यान देने योग्य लेख] ना जाने क्यूँ आजकल के बच्चे और युवा वर्चुअल (आभासी) लाइफ में जी रहे हैं:– ना जाने कितने प्रकार के गेम, मूवी, कार्टून केरेक्टर, ख्यालों की दुनिया और ना जाने क्या- क्या देखकर अपने आपको उस दुनिया का आदमी या गेमर समझने लगते हैं| यही आभासी दुनिया उनके अन्तर्मन और अचेतन मन में घूमती रहती है| कभी- कभी तो उसी धुन में कितने ही बच्चे और युवा परलोक चले गये| आभासी दुनिया बच्चों को वास्तविकता से दूर ले जाती है, उनकी मानसिक शक्ति कमजोर हो जाती है| इसके विपरीत यदि प्रकृति और वास्तविकता के नजदीक रहा जाए तो, कौशल प्रतिभा और ज्ञान में बढ़ोत्तरी होती रहे| बेफालतू की फिल्मों से अच्छा तो प्रेरक और महापुरुषों की फिल्में देखें, कार्टून के स्थान पर रियल टैलेन्ट शो देखे, गेम कैरेक्टर्स में खो जाने से अच्छा! रियल गायकों, कवियों और अन्य प्रतिभाशाली लोगों के कार्यक्रम या प्रदर्शनियां देखिए| सर्कस के असली जिमनास्ट एवं रियल हीरोज को देखिए, जिससे हमारे अन्दर भी प्रतिभा को निखारने का अवसर मिलें| हर इंसान में कुछ न कुछ प्र
जितना भी चाहता हूं, सब मिल ही जाता है, अब दुख किस बात का ॽ