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Showing posts from December, 2016

शांताकारं

🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 🌹💐🌹💐🌹💐🌹💐🌹              *अथध्यानम्* शान्ताकारं भुजगशयनम् पद्मनाभं सुरेशं। विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्णं शुभाग्ङम्।। लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यं। वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम्।। भावार्थ  ☆ जिनकी आकृति अतिशय शान्त है, शेषनाग की शय्या पर करते है शयन जो, जिनकी नाभि में कमल विद्यमान है, जो देवों के ईश्वर जगत के आधार है, जो आकाश के समान सर्वत्र व्याप्त है, नील मेघ के समान जिनका वर्ण है, अति सुंदर जिनके सम्पूर्ण अंग है, जो योगियों द्वारा ध्यान से प्राप्त होते हैं, जो सम्पूर्ण लोकों के स्वामी हैं, जो जन्म मरण भय को हरने वाले हैं, ऐसे लक्ष्मीपति, कमलनेत्र भगवान, श्री विष्णु का हम शत शत नमन करते हैं। 🙏🏻🌷🙏🏻🌷🙏🏻🌷🙏🏻🌷🙏🏻 सबसे बड़े गुरु संसार को चलाने वाले समस्त संसार में उपस्थित सभी जीवों व प्रकृति का प्रबन्धन  देखने वाले देव श्री हरि विष्णु के समान हमें जीवन को बनाने का प्रयास करना चाहिए। जिस प्रकार वह समस्त दूख संताप कष्ट परेशानियों रोग व्याधियों आदि को देखते हुए भी शान्त रहते है, शान्ति धारण किये र

बधाई संदेश

💥🌷बधाई संदेश🌷💥           सादर धन्यवाद सम्मेलन समारोह में आये रचनाकार का सम्मान हो, प्रतिभागी और सहभागी, कविराजों का मान हो। नित्य अरुण की आभा से, जीवन हो आलोकित, मधुर प्रेरणा जब मिले, सब कर्म हमारे हो पुलकित। संजीत यश से तेज मिलें, खिलें प्रसून की महक, मिले आशीष सबको, काव्य स्वर की चहक। सोम सहयोग से मिलें, संगम को ऊँचा नाम, प्रीती सृजन पीयूष है, आस से होते ऊँचे काम। राही हूँ भगत पथ का, साहिल पर मिलते राम, नीलम नवीन को नमन हो, साहित्य संगम का नाम। भानु तेज सोम बनें, बृज सरस हो धाम, राज मंत्र का जोश भरे, लो मुरारि का नाम। स्वीकार हो बधाई सबको, सफल सम्मेलन संगम आन, सौम्या सिद्धी कर रही, नारी की ऊँची शान। कैलाश पति के वरद कर, रश्मि रजनी देव है नन्द, निर्मल विवेक मन उज्ज्वल, भूपधर जागायें आनन्द। जिनके नाम रह गये है उन सभी महानुभावों को हार्दिक बधाई आप सभी को बधाई      🏻    ✍ डाॅ • राहुल शुक्ल साहिल        🙏🏻 धन्यवाद 🙏🏻             साहित्य संगम  

आदमी को आदमी (प्रभांशु कुमार)

--आदमी में आदमी-- आदमी में आदमी को खोजने चला हूँ आज आदमी में आदमी तो मिलता नहीं यहां। आदमी आदम बना आदमियत छोड़ दी आदमी को आदमी तो छोड़ता नहीं यहां। आदमी तो रो रहा है आदमी ही हंस रहा आदमी ही आदमी को दिखता नहीं यहां। कैसे ढूँढ़ पाउँगा मैं आदमी में आदमी को आदमी ही बात पर रुकता नहीं यहाँ।                     प्रभांशु

राहें

💐🙏🏻 *राहें* 🙏🏻💐 राहों के हम साथ आ गये। यादों के ज़स्बात आ गये। राहें आसाँ हो जायेगी। हमराही हम साथ आ गये। राह भटक कर राह पा गये, जीने के अरमान पा गये, कठिन डगर अब कट जायेगी, नेह प्रेम की चाह पा गये। राह से निकल राह पा गये, रिश्तों की सौगात पा गये, विरह अगन अब कट जायेगी, सजना का हम प्यार पा गये। शूल राह के फूल बन गये, गुरुवर जीवन मूल बन गये, रातें काली कट जायेगी, सकल शरण अनुकूल बन गये। ✍  डाॅ• राहुल शुक्ल साहिल

वन्दना

🙏🏻💐🌷🙏🏻💐🌷🙏🏻          🌹 वन्दना 🌹 बैरी का भी हो कल्याण , ऐसा भाव हमें दें  माँ , अनजान पहचान बना लेवें , ऐसा मधुहास हमें दें  माँ , शत्रु भी  बनें  मित्र , ऐसी झंकार हमें दें माँ , मातृभूमि के दुश्मन से , लड़ने का शक्ति हमें दें माँ , जग सेवा का हो कर्म , श्रम का सामर्थ्य हमें दें माँ , प्रेम  सुधारस  महकायें , वो मलय पात्र हमें दें माँ ।।        ✍  डाॅ• राहुल शुक्ल साहिल

मुस्कान

फैले मधुवन में यश सुगन्ध, जीवन में हर दिन हो बसन्त, नव वर्ष लाये खुशियाँ अपार, सेहत धन कीर्ति मिलें अनन्त।।     🙏🏻साहिल🙏🏻

देशद्रोह

🙏🏻 देशद्रोह 🙏🏻 मनहरण घनाक्षरी 8,8,8,7 पर यति, कुल 31 वर्ण चार चरण समतुकान्त, देश द्रोही को उखाड़, अनाचार को सुधार, देशहित सदाचार, मान देना चाहिए। जन्म भूमि जननी का, गुरु ज्ञान करनी का, भाव प्रेम कथनी का, ज्ञान देना चाहिए। धोखेबाज नेताओ के, धनपशु मानवों के, देशद्रोहियों के हर, प्रान लेना चाहिए। घुसपैठ घूसखोरी, पूँजीपति व्यभिचारी, बेईमानी पर जरा, ध्यान देना चाहिए।    ✍ डाॅ• राहुल शुक्ल साहिल