गज़ल़ 212 212 212 212 प्यार की बात प्यार की बात हमको सुनाओ जरा| हाल दिल का हमें भी बताओ जरा| रात बेचैन सी बस अभी कट रही, प्रेम का दीप मन में जलाओ जरा| आग तन में लगी है मु...
जितना भी चाहता हूं, सब मिल ही जाता है, अब दुख किस बात का ॽ