🔸🔹 पतंग 🔸🔹
बाल कविता
बन पतंग मैं उड़ ओजाता,
जीवन में खुशियाँ पाता,
डोर पतंग की थामे कोई,
संग - संग मेरे गाता|
फड़-फड़ करती अम्बर में,
चिड़ियों जैसे उड़ती है,
जिस ओर हवा चलती है,
पतंग उसी रुख मुड़ती है|
लाल सुरमई सतरंगी,
कितने रंग बदलती है,
तितली रंग बिरंगी देखो,
जैसे रंग बदलती है|
दुख पतंग जब कट जाए,
नयी पतंग हम पाते हैं,
सभी कष्ट कट जाते हैं,
नयी उमंगे लाते हैं |
©️ डॉ• राहुल शुक्ल साहिल
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