विधान~
[नगण यगण नगण यगण]
(111 122 111 122 )
12 वर्ण, 4 चरण
दो-दो चरण समतुकांत
हर पल चाहूँ प्रियवर छाया|
मधुरिम लागे उजियर काया||
हलचल जैसे सरगम धारा|
हिय सुख पाऊँ लखकर तारा||
सुखद धनी यौवन सुख पाए|
सरस वही मोहक मन भाए||
सुखद लगे नैनन मन भाषा|
समझ गया चाहत परिभाषा||
© डॉ० राहुल शुक्ल 'साहिल'
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