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मंदाक्रान्ता छन्द (साहिल)



🍁 मंदाक्रान्ता छंद 🍁

विधान~ [{मगण भगण नगण तगण तगण+22}
( 222  211  111  221  221 22)
17 वर्ण, यति 4, 6,7 वर्णों पर, 4 चरण
[दो-दो चरण समतुकांत]

झूमे  नाचे,  मुद  मगन  हो, संग  में गीत  गाएँ |
आशा रूपी, जग सुख मिले, स्नेह की डोर पाएँ ||
गंगा सी है, शुभ्र  रुपहली, पीत  की श्वेत धारा |
मोती  जैसे, नयन  चमके, रात  की  प्रीत  तारा ||

© डॉ० राहुल शुक्ल 'साहिल'

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