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दिलों की हलचलें


मुक्तक १२२२× ४

दिलों की हलचलें समझो जरा तुम प्यार तो कर लो,
बढ़ी है  धड़कने सुन लो, जरा  इजहार तो  कर लो,
वही अब  बन गई है  जिन्दगी की  हमसफर  मेरी,
फसाने  प्रेम  के  मेरे  सभी  स्वीकार  तो  कर  लो|

     ❤ साहिल 🙏


        बेल/लता  🎊
     (1222×4 मुक्तक)

गले जब तुम लगाती हो उमंगे जाग जाती है|
इशारे देखकर चाहत शराफ़त भाग जाती है|
लता जैसे लिपटकर पेड़ को साथी  बनाती है|
मुहब्बत़ की रवानी बेल सी चढ़ती हि जाती है|

  © डॉ० राहुल शुक्ल 'साहिल'

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