Skip to main content

संगम पर्व मनाऐगें ।।

सरस्वती त्रिपथगा यमुना,
    संगम  पर्व  मनाऐगें,
दर्शन अमृतपान कराकर,
सभी जन्म  तर  जायेगें ।
                 अर्ध्द कुम्भ हो महा कुम्भ हो,
                      माघ  मास का  मेला,
                    ज्ञान की  देवी  सरस्वती,
                       संगम  हम  बनायेगें।
पावन प्रयाग की पावन गंगा,
    पावन  पर्व  मनायेगें,
रोग मुक्त हो जाये हम सब,
     गंगा  में  नहायेगें।
                  जलवायु समाहित प्राणवायु,
                       महिमा खूब बतायेगें,
                      भक्ष रोगाणु गंगाजल से,
                     स्वस्थ  समाज  बनायेगें।
    गोमुख  गंगोत्री  गंगा,
    पंच  प्रयाग  बनायेगें,
मिलकर जन सब सभी प्रदेश,
      एकता  निभायेगें ।
                भूमि उर्वरा मृदा सम्पन्न,
                   गंगा स्वच्छ बनायेगें,
                  प्रण लें  गंगा  मैय्या से,
                 फूल चढ़ावा और गन्दगी,
                   मिट्टी  में  मिलायेगें।
                
गंगा स्वच्छ बनायेगें,
संगम  पर्व  मनाऐगें ।।



                   डाॅ राहुल शुक्ल
302/4 शिवकुटी, तेलियरगंज, इलाहाबाद,
ईमेल - rsrahulshukla9@gmail.com
संम्पर्क - 8858344659,9369172742

Comments

Popular posts from this blog

वर्णमाला

[18/04 1:52 PM] Rahul Shukla: [20/03 23:13] अंजलि शीलू: स्वर का नवा व अंतिम भेद १. *संवृत्त* - मुँह का कम खुलना। उदाहरण -   इ, ई, उ, ऊ, ऋ २. *अर्ध संवृत*- कम मुँह खुलने पर निकलने वाले स्वर। उदाहरण - ए, ओ ३. *विवृत्त* - मुँह गुफा जैस...

वर्णों के 8 उच्चारण स्थान

कुल उच्चारण स्थान ~ ८ (आठ) हैं ~ १. कण्ठ~ गले पर सामने की ओर उभरा हुआ भाग (मणि)  २. तालु~ जीभ के ठीक ऊपर वाला गहरा भाग ३. मूर्धा~ तालु के ऊपरी भाग से लेकर ऊपर के दाँतों तक ४. दन्त~ ये जानते ही ...

व्युत्पत्ति के आधार पर शब्द के प्रकार

व्युत्पत्ति के आधार पर शब्द व्युत्पत्ति का अर्थ है ~ विशेष प्रयास व प्रयोजन द्वारा शब्द को जन्म देना| यह दो प्रकार से होता है~ १. अतर्क के शब्द (जिनकी बनावट व अर्थ धारण का कारण ...