"छठ मइया के अरघ के बेला" उगह सूरज देव, अर्घ्य हम दिहनी, छठ मइया तोहरा चरण चुमे धानी। गऊ-भैंसवा सब अंगना निहारे, पूरब से आवे रौशनी प्यारे। छठ मइया के अरघ के बेला, गावे सभे माई-बाबू गोदेला। छठ मइया तोहर महिमा न्यारी, सुख-शांति दे ललना के पियारी।। सूपवा में ठेकले ठेकुआ-फल, गंगा जल में नहइले सरल। चार दिन के व्रत में मन लगाई, मइया के किरपा से लाज बचाई।। भोर भइल, उगे लाल सूरजवा, घरे-घरे गूंजे छठ गीतवा। कंचन जल में परे अंजोरी, मइया सुनली सबकी गोरी।। छठ मइया की किरपा भारी, सदा रहे सुख-शांति हमारी।। © डॉ. राहुल शुक्ल 'साहिल'
🇮🇳 कारगिल विजय दिवस – श्रद्धांजलि गीत जिनकी कुर्बानी से रोशन, भारतवर्ष हमारा है, नमन करें हम रणवीरों को, जय भारत का नारा है। हर वर्ष जुलाई छब्बीस को हम कारगिल दिवस मनाते हैं, वीर शहीदों की समाधि पर निशिदिन शीश नवाते हैं। जय-भारत, जय-हिंद बोलकर घुसपैठों को भगा दिए, ऊँचे पर्वत लद्दाख पर, भारती तिरंगा लगा दिए।धं भारतवासी नमन कर रहे कारगिल वीर शहीदों को, बस यूं ही जिंदा रखना है देश की प्रति उम्मीदों को। आज कारगिल दिवस याद कर, श्रद्धा सुमन चढ़ायेंगे, हर शहीद की कुर्बानी को यूं ही नहीं भूलायेंगे। ✍️ लेखक:© डॉ. राहुल शुक्ल 'साहिल'