छठ मइया के अरघ के बेला

"छठ मइया के अरघ के बेला" 

उगह सूरज देव, अर्घ्य हम दिहनी,  
छठ मइया तोहरा चरण चुमे धानी।  
गऊ-भैंसवा सब अंगना निहारे,  
पूरब से आवे रौशनी प्यारे।  

छठ मइया के अरघ के बेला,  
गावे सभे माई-बाबू गोदेला।  
छठ मइया तोहर महिमा न्यारी,  
सुख-शांति दे ललना के पियारी।।  

सूपवा में ठेकले ठेकुआ-फल,  
गंगा जल में नहइले सरल।  
चार दिन के व्रत में मन लगाई,  
मइया के किरपा से लाज बचाई।।  

भोर भइल, उगे लाल सूरजवा,  
घरे-घरे गूंजे छठ गीतवा।  
कंचन जल में परे अंजोरी,  
मइया सुनली सबकी गोरी।।  

छठ मइया की किरपा भारी,  
सदा रहे सुख-शांति हमारी।।

© डॉ. राहुल शुक्ल 'साहिल' 

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