Skip to main content

तीर्थराज की जय/ महाकुंभ की जय

तीर्थराज की जय 
महाकुंभ की जय
प्रयागराज की जय
मां गंगा की जय ।
आस्था का संगम
प्रेम  की  त्रिवेणी 
उच्चता की श्रेणी 
शुद्ध जहां विचार।
मन  का  मनुहार 
स्नेह और सत्कार 
मोक्षदायिनी मां गंगा
समय की काल गंगा।
ज्ञानदायिनी हंसवाहिनी 
पापनाशिनी  देवी 
सबका करें उद्धार
महाकुंभ  का पर्व।
शुभता अरु गन्धर्व
तीर्थ राज की जय 
महाकुंभ की जय
प्रयागराज की जय।
मां  गंगा की जय ।।

©️ डॉ. राहुल शुक्ल 'साहिल'

Comments

Popular posts from this blog

वर्णों के 8 उच्चारण स्थान

कुल उच्चारण स्थान ~ ८ (आठ) हैं ~ १. कण्ठ~ गले पर सामने की ओर उभरा हुआ भाग (मणि)  २. तालु~ जीभ के ठीक ऊपर वाला गहरा भाग ३. मूर्धा~ तालु के ऊपरी भाग से लेकर ऊपर के दाँतों तक ४. दन्त~ ये जानते ही ...

वर्णमाला

[18/04 1:52 PM] Rahul Shukla: [20/03 23:13] अंजलि शीलू: स्वर का नवा व अंतिम भेद १. *संवृत्त* - मुँह का कम खुलना। उदाहरण -   इ, ई, उ, ऊ, ऋ २. *अर्ध संवृत*- कम मुँह खुलने पर निकलने वाले स्वर। उदाहरण - ए, ओ ३. *विवृत्त* - मुँह गुफा जैस...

व्युत्पत्ति के आधार पर शब्द के प्रकार

व्युत्पत्ति के आधार पर शब्द व्युत्पत्ति का अर्थ है ~ विशेष प्रयास व प्रयोजन द्वारा शब्द को जन्म देना| यह दो प्रकार से होता है~ १. अतर्क के शब्द (जिनकी बनावट व अर्थ धारण का कारण ...