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प्रकृति संरक्षण (डॉ• राहुल शुक्ल साहिल)

              "प्रकृति संरक्षण"

दिन के बाद रात आती है और रात का अंधेरा दिन के स्वर्णिम उजाले की उम्मीद लाता है | धरती का धीरज अम्बर के विस्तार का मुकाबला करता है | सर्वशक्तिमान सत्ता की बनायी खूबसूरत दुनिया में पेड़–पौधों की हरियाली, फूलों से सुगंधित हवाएं और पशु–पक्षी इंसान सब कुछ कितना सुन्दर और बेहतरीन प्रतीत होता है |

              पेड़–पौधों के जीवन का आधार है मिट्टी जल और वायु !   मिट्टी में विभिन्न प्रकार के क्षारीय, विटामिन, खनिज, धातु, रासायन आदि की उपस्थिति उसे औषधीय गुणों से परिपूर्ण बनाती है | धरातल के ऊपरी परत की मिट्टी पेड़-पौधों के लिए जीवाश्म खनिज अंश प्रदान करती है वो मिट्टी ही होती है| पेड़–पौधों के तने के बीच में मौजूद खोखला  स्थान जाइलम और फ्लोयम के नाम से जाना जाता है| पेड़ की जड़ जाइलम के द्वारा मिट्टी में मौजूद जल को सोखकर पेड़ के विभिन्न भागों तक पहुंचाती है; इसी प्रकार फ्लोयम पेड़ की जड़ के द्वारा मिट्टी में मौजूद खनिज व लवणों को सोखकर पेड़ के विभिन्न भागों तक पहुंचाता है| मिट्टी और पानी जिस प्रकार से पेड़ों का जीवन है, उसी प्रकार अपने ही देश की माटी और पानी मनुष्य का भी जीवन है| बिन मिट्टी के पेड़ का जीवन सम्भव नही| पेड़ को काटना और उखाड़ना दोनों ही प्रकृति को नष्ट करने की क्रिया है| मनुष्य ही प्रकृति संरक्षण कर सकता है और मनुष्य ही विकास के नाम पर प्रकृति का दोहन भी करता रहा है| विकास के नाम पर प्रकृति को नष्ट करने का खेल समझदारी नही, नाइंसाफ़ी है| सबसे ज्यादा विकसित मानसिक शक्ति वाले मनुष्यों को जरुर कुछ सोचना होगा|

सोचिए!  विचारिए! और अपनी खूबसूरत धरा के अतुलनीय वातावरण को संरक्षित सुरक्षित रखने के प्रयास करिए और कराइए !!

©️ डॉ• राहुल शुक्ल साहिल

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